जम्मू & कश्मीर के सीमावर्ती राजौरी जिले में पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से बार बार की जा रही गोलाबारी के चलते 3 महीने बाद भी सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग अपने घरों में वापस जाने से हिचक रहे हैं और वे नौशेरा सेक्टर के पांच स्कूलों में बने शिविरों में आश्रय लेने के लिये मजबूर हैं। प्रभावित ग्रामीणों का दूसरा घर बन चुके इन शिविरों में समुचित चिकित्सा एवं अन्य सुविधाओं का अभाव है।
नौशेरा सेक्टर में जीरो लाइन के पास झंगर गांव के निवासी पुरूषोथम लाल ने बताया कि हमलोग दशकों से पाकिस्तानी आक्रमण को झेल रहे हैं लेकिन बीते दो वर्ष से नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थिति बेहद नाजुक हो गयी है।
सीमा पार से पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा बिना किसी उकसावे के की जा रही गोलीबारी का आसान निशाना बनने के बजाय हमें अपने घरों से दूर रहना स्वीकार है। हालिया दिनों में राजौरी जिला के विभिन्न सेक्टरों में पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी में चार नागरिकों की मौत हो गयी और पांच अन्य लोग घायल हो गये थे।
जिला विकास आयुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि नागरिकों की सुरक्षा के लिये एलओसी के पास सरकार करीब 7000 भूमिगत “व्यक्तिगत एवं सामुदायिक” बंकरों का निर्माण करने की योजना बना रही है और इस संबंध में मंजूरी एवं कोष प्राप्ति के लिये पहले ही परियोजना रिपोर्ट केंद को भेजी जा चुकी है।
सबसे बुरी तरह प्रभावित नौशेरा जिला में सरकार ने पहले ही स्थानीय क्षेत्र विकास कोष के तहत 100 बंकरों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है और इस पर काम जारी है।
पाकिस्तान लगातार इस क्षेत्र को निशाना बना रहा है जिसके कारण जान-माल की क्षति हो रही है।
प्रतिकूल परिस्थिति के बावजूद अधिकतर लोग वहीं रह रहे हैं।