जम्मू-कश्मीर में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले पंचायत और निगम चुनाव को लेकर सियासी बवाल शुरू हो गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के बाद अब महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी अनुच्छेद 35A का हवाला देते हुए इन चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
इसमें कहा गया कि नई दिल्ली इतना सोचने योग्य नहीं है कि कश्मीर के लोगों पर किए गए सभी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक अत्याचार के बावजूद कोई भी कश्मीरी विकास के लिए धन को स्वीकारेगा। यह चुनाव उनपर थोपे जा रहे हैं और ये चुनाव कुछ भी नहीं बल्कि लोगों पर परेशान करने के लिए एक और हमला है। इसे जम्मू कश्मीर के लोग भी अच्छी तरह जानते हैं।
बताते चलें कि अलगाववादियों ने हमेशा से ही चुनाव का बहिष्कार किया है। चाहे वो विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा। पिछले 25 साल से वह चुनाव का बहिष्कार करने का राग अलापते आ रहे हैं। बावजूद इसके 2014 के विधानसभा चुनाव में कश्मीर में 65 फीसदी मतदान हुआ। जबकि वर्ष 2011 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान भी रिकार्ड तोड़ मतदान हुआ था।
बता दें कि 35 ए के मामले में अभी सुप्रीम कोर्ट में की सुनवाई चल रही है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि राज्य में अभी पंचायत चुनाव होने हैं, इसलिए सुनवाई आगे बढ़ाई जाए। 35A के मुद्दे पर राज्य में लगातार विरोध हो रहा है, जिस समय सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे की सुनवाई हो रही थी तब भी कई बार राज्य में बंद बुलाया गया था।
हालांकि, अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन अक्टूबर-नवंबर में मतदान होने की संभावना है. गौरतलब है कि राज्य में भी राज्यपाल शासन चल रहा है।