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पीडीपी ने परिसीमन आयोग से बनाई दूरी, पार्टी महासचिव ने पत्र लिख कर दी जानकारी

पीडीपी ने मंलगवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग से मुलाकात नहीं करेगी, क्योंकि केन्द्र ने लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है और परिसीमन कार्यवाही के परिणाम को ‘‘व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माने जा’’ रहे हैं।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग आज से जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे रहेगा।  इस बीच परिसीमन आयोग के दौरे के दौरान ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) ने का एक सामने बयान है। पीडीपी ने मंलगवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग से मुलाकात नहीं करेगी, क्योंकि केन्द्र ने लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है और परिसीमन कार्यवाही के परिणाम को ‘‘व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माने जा’’ रहे हैं।
पीडीपी के महासचिव गुलाम नबी लोन हंजूरा ने आयोग को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ हमारी पार्टी ने कार्यवाही से दूर रहने का फैसला किया है और वह ऐसी किसी कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगी, जिसके परिणाम व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माने जा रहे हैं और जिससे हमारे लोगों के हित प्रभावित हो सकते हैं।’’ आयोग का नेतृत्व कर रहीं न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई को संबोधित करते हुए हंजूरा ने पत्र में पीडीपी के रुख को दोहराया कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के संबंध में किए संवैधानिक परिवर्तन ‘‘अवैध’’ और ‘‘असंवैधानिक’’ थे।
हंजूरा ने कहा कि पार्टी का मानना है कि आयोग के पास संवैधानिक तथा कानूनी जनादेश का अभाव है और इसके अस्तित्व तथा उद्देश्यों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को कई सवालों के घेरे में छोड़ दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘ पुनर्गठन अधिनियम भी इसी कार्यवाही के जरिए बना था, हमारा मत है कि परिसीमन आयोग के पास संवैधानिक तथा कानूनी जनादेश का अभाव है और इसके अस्तित्व तथा उद्देश्यों ने जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक निवासी को कई सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।’’
पार्टी के महासचिव ने कहा, ‘‘ ऐसी आशंकाएं हैं कि परिसीमन कार्यवाही जम्मू-कश्मीर के लोगों के राजनीतिक अशक्तीकरण की समग्र प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे भारत सरकार ने शुरू किया है। इन आशंकाओं के मूल में वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से आयोग का गठन किया गया है और यह तथ्य कि देशभर में परिसीमन कार्यवाही को 2026 तक रोक दिया गया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर इसमें एक अपवाद है।’’

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