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पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की मां को ईडी ने धन शोधन के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया

महबूबा मुफ्ती की मां को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन के एक मामले में पूछताछ के लिए 14 जुलाई को हाजिर होने को कहा है।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती की मां को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन के एक मामले में पूछताछ के लिए 14 जुलाई को हाजिर होने को कहा है। एक आला अधिकारी ने बताया कि गुलशन नजीर को श्रीनगर में केंद्रीय जांच एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया है। 
महबूबा ने हैरानगी जताई है कि उनकी मां को नोटिस ऐसे दिन जारी किया गया ,जब पीडीपी ने परिसीमन आयोग से नहीं मिलने का फैसला किया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने ईडी के सम्मन को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘‘ईडी ने मेरी मां को अज्ञात आरोपों में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए तलब किया है। राजनीतिक विरोधियों को डराने की कोशिश के तहत भारत सरकार वरिष्ठ नागरिकों तक को नहीं बख्श रही है। एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) और ईडी जैसी एजेंसियां अब बदला लेने का औजार बन गई हैं।’’

उधर, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग आज से जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे रहेगा।  इस बीच परिसीमन आयोग के दौरे के दौरान ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) ने का एक सामने बयान है। पीडीपी ने मंलगवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग से मुलाकात नहीं करेगी, क्योंकि केन्द्र ने लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है और परिसीमन कार्यवाही के परिणाम को ‘‘व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माने जा’’ रहे हैं। 
पीडीपी के महासचिव गुलाम नबी लोन हंजूरा ने आयोग को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ हमारी पार्टी ने कार्यवाही से दूर रहने का फैसला किया है और वह ऐसी किसी कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगी, जिसके परिणाम व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माने जा रहे हैं और जिससे हमारे लोगों के हित प्रभावित हो सकते हैं।’’ 
आयोग का नेतृत्व कर रहीं न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई को संबोधित करते हुए हंजूरा ने पत्र में पीडीपी के रुख को दोहराया कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के संबंध में किए संवैधानिक परिवर्तन ‘‘अवैध’’ और ‘‘असंवैधानिक’’ थे। हंजूरा ने कहा कि पार्टी का मानना है कि आयोग के पास संवैधानिक तथा कानूनी जनादेश का अभाव है और इसके अस्तित्व तथा उद्देश्यों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को कई सवालों के घेरे में छोड़ दिया है। 
उन्होंने कहा, ‘‘ पुनर्गठन अधिनियम भी इसी कार्यवाही के जरिए बना था, हमारा मत है कि परिसीमन आयोग के पास संवैधानिक तथा कानूनी जनादेश का अभाव है और इसके अस्तित्व तथा उद्देश्यों ने जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक निवासी को कई सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।’’

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