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अनुच्छेद 35-ए की रक्षा के लिए किया पीडीपी का समर्थन : उमर

अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें मालूम था कि इस निर्णय से उनकी पार्टी को राजनीतिक नुकसान होगा लेकिन राज्य के हित में उन्होंने यह फैसला किया।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक के जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने के एक दिन बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी और कांग्रेस राज्य के विशेष दर्जे की रक्षा के लिए सरकार बनाने में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का समर्थन करने पर राजी हुई है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के एनसी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा करने के कुछ ही मिनट बाद राज्यपाल ने भारी पैमाने पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप और स्थिर सरकार बनाने की कोई उम्मीद नहीं होने की बात कह विधानसभा भंग कर दी।

 श्री अब्दुल्ला ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया जिससे सरकार गिर गयी, हम चाहते थे कि विधानसभा भंग कर दी जाये। हम कांग्रेस और पीडीपी के साथ सरकार बनाने के इच्छुक नहीं थे लेकिन कुछ समय से लोगों ने शिकायत करनी शुरू कर दी थी कि राज्य के विशेष दर्जे को चोट पहुंचाने और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। देश ही नहीं दुनिया भर में कश्मीरियों की छवि खराब करने की कोशिशें की जा रही हैं जिसके फलस्वरूप राज्य से बाहर पढ़ रहे कई कश्मीरी छात्रों पर हमले हुए हैं। ’’श्री अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमने एक संवाद शुरू किया है लेकिन प्रारंभ से ही हमने साफ कर दिया है कि हम सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं पर हम उसे बाहर से समर्थन देंगे।

फारूक अब्दुल्ला और मुझे सरकार की अगुआई की पेशकश की गयी है लेकिन हम दोनों ने इसे ठुकरा दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस बात पर सहमति जतायी है कि एक बार गठबंधन सरकार जनवरी में उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35-ए का समुचित बचाव कर ले, मुख्यमंत्री इस्तीफा दे देंगे और राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सिफारिश करेंगे ताकि विधानसभा चुनाव 2019 में संसदीय चुनावों के साथ कराये जा सके और लोगों को नयी सरकार मिल सके।’’ पीडीपी के साथ साझीदारी के फैसले पर सफाई देते हुए श्री अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें मालूम था कि इस निर्णय से उनकी पार्टी को राजनीतिक नुकसान होगा लेकिन राज्य के हित में उन्होंने यह फैसला किया।

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