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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जताया भरोसा, कश्मीरियों के लिए फायदेमंद होगा अनुच्छेद 370 का हटना

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को विश्वास जताया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले से ‘वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित होंगे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को विश्वास जताया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले से ‘वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित होंगे।’ 
तिहत्तरवें (73वें) स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कोविंद ने कहा, ‘‘…मुझे विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए हाल ही में किए गए बदलावों से वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित होंगे। वे भी अब उन सभी अधिकारों और सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे जो देश के दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को मिलती हैं।’’ 
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने और राज्य को दो हिस्सों में विभाजित करने का फैसला लिया था। इससे जुड़े संकल्प एवं विधेयक को संसद की मंजूरी मिल चुकी है। दोनों केंद्र शासित प्रदेश — जम्मू कश्मीर और लद्दाख– 31 अक्टूबर 2019 से अस्तित्व में आएंगे। 
कोविंद ने जम्मू कश्मीर में किये गए बदलावों का जिक्र करते हुए उस महान पीढ़ी को याद किया, जिन्होंने देश को आजादी दिलाई थी। 
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जिस महान पीढ़ी के लोगों ने हमें आज़ादी दिलाई, उनके लिए स्वाधीनता, केवल राजनीतिक सत्ता को हासिल करने तक सीमित नहीं थी। (बल्कि) उनका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के जीवन और समाज की व्यवस्था को बेहतर बनाना भी था।’’ 
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि हाल ही में लागू हुए नये कानूनों और मौजूदा कानूनों में संशोधन से भी जम्मू कश्मीर के निवासी लाभान्वित होंगे। 
उन्होंने कहा, ‘‘तीन तलाक जैसे अभिशाप के समाप्त हो जाने से वहां की हमारी बेटियों को भी न्याय तथा भयमुक्त जीवन जीने का अवसर मिलेगा।’’ 
कोविंद ने कहा, ‘‘वे भी अब समानता को बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील क़ानूनों और प्रावधानों का उपयोग कर सकेंगे। ‘शिक्षा का अधिकार’ (आरटीई) कानून लागू होने से सभी बच्चों के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। 
‘सूचना का अधिकार’ (आरटीआई) मिल जाने से, अब वहां के लोग जनहित से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे; पारंपरिक रूप से वंचित रहे वर्गों के लोगों को शिक्षा व नौकरी में आरक्षण तथा अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी।’’ 
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि सामान्य व्यक्ति के हित में बैंकिंग सुविधा को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाया गया है। उद्यमियों के लिए कर-व्यवस्था और पूंजी की उपलब्‍धता आसान बनाई गई है। डिजिटल इंडिया के माध्यम से सरकार, लोगों तक नागरिक सुविधाएं तथा उपयोगी जानकारी पहुंचा रही है। 
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की यह विशेषता है कि हम सब प्रकृति के लिए और सभी जीवों के लिए प्रेम और करुणा का भाव रखते हैं। उदाहरण के लिए, पूरी दुनिया के जंगली बाघों की तीन-चौथाई आबादी को हमने सुरक्षित बसेरा दिया है। 
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए भारत, अपनी संवेदनशीलता बनाए रखेगा; भारत, अपने आदर्शों पर अटल रहेगा; भारत, अपने जीवन मूल्यों को सँजोकर रखेगा और साहस की परंपरा को आगे बढ़ाएगा। हम भारत के लोग, अपने ज्ञान और विज्ञान के बल पर चाँद और मंगल तक पहुँचने की योग्यता रखते हैं।’’ 
कोविंद ने देश की समावेशी संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ भारत का समाज तो हमेशा से सहज और सरल रहा है, तथा ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत पर चलता रहा है। हम भाषा, पंथ और क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर उठकर एक दूसरे का सम्मान करते रहे हैं। हजारों वर्षों के इतिहास में, भारतीय समाज ने शायद ही कभी दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम किया हो।’’ 
उन्होंने महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार ने, कानून और न्याय-व्यवस्था में आवश्यक सुधार किए हैं।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘हर घर में शौचालय और पानी उपलब्ध कराने का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब इन सुविधाओं से, हमारी बहन-बेटियों का सशक्तीकरण हो और उनकी गरिमा बढ़े। वे घर की दुनिया से बाहर निकलकर अपनी आकांक्षाओं को पूरा करें; उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार, जीवन जीने की आज़ादी हो; वे घर संभालने में अथवा कामकाजी महिलाओं के रूप में अपने भाग्‍य का निर्माण स्वयं करेंI’’ 
उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा, ‘‘ कुछ ही सप्ताह बाद, दो अक्टूबर को, हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे। गांधीजी का मार्गदर्शन आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने हमारी आज की गंभीर चुनौतियों का अनुमान पहले ही कर लिया था।’’ 
उन्होंने सिख धर्म के संस्थापक, गुरू नानक देव की इस साल मनाई जा रही 550वीं जयंती का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ वे भारत के सबसे महान संतों में से एक हैं। मानवता पर उनका प्रभाव बहुत ही व्यापक है।’’ 
उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए संसद सत्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि संसद के हाल ही में संपन्न हुए सत्र में…राजनीतिक दलों के बीच परस्‍पर सहयोग के जरिए, कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए हैं। मैं चाहूंगा कि राज्यों की विधानसभाएं भी संसद की इस प्रभावी कार्य संस्कृति को अपनाएं।’’ 
उन्होंने देश के राष्ट्रपति के तौर पर की जाने वाली अपनी यात्राओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘…इस दौरान, मैं विभिन्न कार्य-क्षेत्रों से जुड़े देशवासियों से भी मिलता हूं। मैंने महसूस किया है कि भारत के लोगों की रुचियां और आदतें भले ही अलग-अलग हों, लेकिन उनके सपने एक जैसे हैं।’’ 
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘1947 से पहले, सभी भारतीयों का लक्ष्य था कि देश को आज़ादी प्राप्‍त हो। आज हमारा लक्ष्य है कि विकास की गति तेज हो, शासन व्यवस्था कुशल और पारदर्शी हो ताकि लोगों का जीवन बेहतर हो।’’ 
कोविंद ने जनादेश में लोगों की आकांक्षाएं झलकने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मेरा मानना है कि 130 करोड़ भारतवासी अपने कौशल, प्रतिभा, उद्यम तथा इनोवेशन के जरिए, बहुत बड़े पैमाने पर, विकास के और अधिक अवसर पैदा कर सकते हैं।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लंबे इतिहास में, हमारे देशवासियों को कई बार, चुनौतियों और कठिनाइयों से गुजरना पड़ा है। ऐसे कठिन समय में भी, हमारा समाज विपरीत परिस्‍थितियों का सामना करते हुए आगे बढ़ता रहा।’’ 
उन्होंने देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जा रही बुनियादी सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ हर देशवासी के घर में नल के जरिए पीने का पानी पहुंचाने, किसान भाई-बहनों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने और देश में कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की समस्या का प्रभावी समाधान करने के लिए जल-शक्ति के सदुपयोग पर विशेष बल दिया जा रहा है।’’ 

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