कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि वह जब कश्मीर घाटी आते हैं, तो उन्हें “घर आने” जैसा एहसास होता है। उन्होंने विधानसभा चुनाव कराए जाने से पहले जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किये जाने की भी वकालत की।
पार्टी के नए मुख्यालय का यहां उद्घाटन करने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भावुक नजर आए राहुल गांधी ने कहा, “मेरा परिवार दिल्ली में रहता है। उसके पहले मेरा परिवार इलाहाबाद में रहता था। और इलाहाबाद से पहले मेरा परिवार यहां रहता था।”
कश्मीर से अपने परिवार के रिश्ते के संदर्भ में उन्होंने कहा, “मैं आपको बता सकता हूं कि मैं आपको समझता हूं, मेरे परिवार ने निश्चित रूप से झेलम का पानी पिया होगा। कश्मीरियत, संस्कृति और विचार प्रक्रिया मुझमें भी जरूर होगी। जब मैं यहां आता हूं, मुझे घर आने जैसा एहसास होता है।” उन्होंने कहा कि वह प्यार और सम्मान के संदेश के साथ आए थे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गांधी ने कहा कि विधानसभा चुनाव कराए जाने से पहले यहां राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए और तब लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए, जो चुनाव (राज्य विधानसभा के) हैं।” इस कार्यक्रम से पहले गांधी ने मध्य कश्मीर के गांदरबल इलाके में स्थित माता खीर भवानी मंदिर में पूजा की। कश्मीरी पंडितों की इस मंदिर में काफी श्रद्धा है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के लिये संसद के मौजूदा सत्र में विधेयक लाए जाने की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए गांधी ने कहा कि कई मुद्दे हैं, जिन्हें हम संसद में उठाना चाहते हैं,लेकिन विपक्ष को वहां बोलने की इजाजत नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि उन्हें उनके साथियों द्वारा बताया गया कि जम्मू कश्मीर कई लोकसभा सीटों वाला बड़ा राज्य नहीं था,लेकिन उन्होंने इस जगह के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “यह कई लोकसभा सीटों वाला राज्य नहीं है…यह अब राज्य भी नहीं है। लेकिन जम्मू कश्मीर की ताकत आपका जीने का तरीका है। भारत और उसकी नींव में कश्मीरियत है। यह भावना मुझमें भी है। आप मुझसे प्यार और अपनेपन से जो करा सकते हैं वह ताकत और नफरत के बल पर कभी हासिल नहीं कर पाएंगे। यह कश्मीरियत है। अगर आप जम्मू कश्मीर को प्यार और सम्मान के साथ अपनाएंगे, तो आप जो चाहते हैं वो करा लेंगे।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब उनकी पार्टी सत्ता में थी तो उसने देश को एकजुट करने और जोड़ने का प्रयास किया, लेकिन भाजपा विभाजनकारी विचारधारा में विश्वास करती है। उन्होंने कहा, “जब हम सत्ता में थे तो हमने पंचायत चुनाव, उड़ान आदि कई कार्यक्रम शुरू किए। जब जम्मू कश्मीर में निवेश के लिए उद्योगपतियों को भी लेकर आए। हम लोगों को एकजुट व जोड़ने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने (भाजपा ने) इस पर हमला किया।”
उन्होंने कहा कि पार्टी की जम्मू कश्मीर इकाई के दफ्तर का नया भवन एक नई शुरुआत है और कार्यकर्ता पार्टी की सेना हैं। जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और उसे दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने के केंद्र के अगस्त 2019 के फैसले के तत्काल बाद यहां के अपने दौरे के संदर्भ में उन्होंने कहा, “मैंने पहले भी यहां आने की कोशिश की, कोविड के प्रसार से पहले, लेकिन मुझे हवाईअड्डे से आगे नहीं आने दिया गया।”
उन्होंने कहा, “मैं जम्मू और लद्दाख भी जाउंगा।” इससे पहले वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए आजाद ने गांधी से अनुरोध किया कि वो संसद में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाएं, जिससे मौजूदा सत्र के बचे हुए तीन दिनों में राज्य के दर्जे को बहाल और स्थानीय लोगों के जमीन व रोजगार के अधिकार की सुरक्षा के लिये विधेयक पारित कराया जा सके। आजाद ने 5 अगस्त 2019 के बाद के घटनाक्रम को याद करते हुए कहा कि यह जम्मू कश्मीर और लोकतांत्रिक भारत के साथ किया गया सबसे बड़ा मजाक था।