कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा तथा नौकरी एवं संपत्ति पर स्थानीय निवासियों के विशेष अधिकार को बहाल कराने की लड़ाई जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि वह राज्यसभा से सिर्फ ‘‘रिटायर’’ हैं, राजनीति से नहीं।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न खतरों से लड़ने के लिए केन्द्र शासित प्रदेश में एकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘‘दुश्मनों के खिलाफ हमें अपनी सेना के साथ खड़े रहने की जरूरत है।’’
गुलाम नबी आजाद का 15 फरवरी को संसद के उच्च सदन में कार्यकाल पूरा हुआ था।
गांधी ग्लोबल परिवार द्वारा यहां आयोजित शांति सम्मेलन में आजाद ने कहा, ‘‘मैं राज्यसभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से नहीं। यह पहली बार नहीं है जब मैं ससंद से सेवानिवृत्त हुआ हूं। अपने अंतिम सांस तक मैं देश की सेवा करता रहूंगा और लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ूंगा।’’
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, राज बब्बर और आनंद शर्मा भी आजाद के साथ थे।
केन्द्र सरकार द्वारा पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बांटने के फैसले के परोक्ष संदर्भ में आजाद ने कहा, ‘‘हमने अपनी पहचान गंवा दी है लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा फिर से प्राप्त करने के लिए संसद के भीतर और बाहर लड़ाई जारी रखेंगे।’’
आजाद ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के तीनों क्षेत्रों… जम्मू, कश्मीर और लद्दाख, के प्रतिनिधि मिलकर सरकार बनाएं। लेह ने केन्द्र शासित प्रदेश के दर्जे का समर्थन किया हैलेकिन करगिल उसके खिलाफ है। जम्मू में सभी पार्टियों भाजपा, आरएसएस से लेकर नेशनल कांफ्रेंस से पीडीपी और पैंथर्स पार्टी तक, सभी राज्य का दर्जा वापस चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह जनता की आवाज है और मैं सभी को चुनौती देता हूं कोई भी यह बयान जारी करे कि वह जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा नहीं चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि वह जमीन/अचल संपत्ति और नौकरियों में स्थानीय लोगों के अधिकारों को भी लेकर लड़ेंगे।
आजाद ने कहा, ‘‘अगर बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में आकर बसने लगे तो जम्मू और लेह को इससे तत्काल खतरा है। हम बाहर से यहां रोजगार के लिए आने वालों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में संसाधनों की कमी है क्योंकि यहां हमारे पास बड़े उद्योग धंधे नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर की सीमाएं चीन और पाकिस्तान से जुड़ी हुई हैं और देश के अन्य किसी भी हिस्से के मुकाबले यहां दुश्मन ज्यादा सक्रिय है। अतीत में हमने कई युद्ध लड़े हैं लेकिन यह दरार अभी तक नहीं भरी है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम सौहार्द, शांति और प्रेम बनाए रखें और साथ मिलकर दुश्मन का मुकाबला करें।’’ उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब ‘‘हम एकजुट हों और अलगाववाद की राजनीति करने वालों के बहकावे में ना आएं।’’
उन्होंने कहा कि प्रत्येक पार्टी को सत्ता में आने का अधिकार है लेकिन धर्म आधारित राजनीति देश के लिए सही नहीं है।