जम्मू-कश्मीर के 25 हजार करोड़ के जमीन घोटाले को लेकर बड़े बड़े नाम सामने आए हैं। इन नामों में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला भी शामिल है। घोटाले में नाम आने के बाद पार्टी ने सफाई देते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला रोशनी योजना के लाभार्थी नहीं हैं।
पार्टी ने एक बयान में कहा कि मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि वह रोशनी योजना के लाभार्थी हैं, जो कि गलत इरादे से फैलाई गई सूचना है। बयान में कहा गया, “सूत्रों के हवाले से सामने आई खबर कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला रोशनी अधिनियम के लाभार्थी हैं, वह पूरी तरह से झूठे इरादे से फैलाई जा रही है।”
बयान में स्पष्ट किया गया है कि फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू या श्रीनगर में अपने आवास के लिए रोशनी योजना का लाभ नहीं उठाया है और जो कोई भी इस बात को कह रहा है, वह झूठ बोल रहा है। बयान में कहा गया है कि वे इस कहानी को पिरोने के लिए सूत्रों का उपयोग कर रहे हैं, जो कि दर्शाता है कि यह बात सच्चाई से परे है और कहीं नहीं ठहरती है।
जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन ने रोशनी अधिनियम के तहत लाभार्थियों की एक सूची जारी की है। सूची में पूर्व मंत्री, नौकरशाह, पुलिस अधिकारी, प्रमुख व्यापारी और राजनीतिक दल शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश पर यूटी एडमिनिस्ट्रेशन और सीबीआई ने अभी तक जो जांच की है, उसके मुताबिक अब्दुल्ला ने 1998 में जम्मू डिवीजन के संजवान इलाके में अलग-अलग लोगों से तीन कनाल जमीन खरीदी, लेकिन साथ में आसपास की सात कनाल जंगल की जमीन पर भी कब्जा कर घर का निर्माण कर लिया।
सीबीआई की जांच के मुताबिक, अब्दुल्ला ने इसके बाद जम्मू और श्रीनगर में विशेष रोशनी एक्ट का सहारा लेकर अपनी बहन सुरैया मट्टू और अपनी पार्टी के लिए अवैध रूप से जमीन आवंटित कराई। इसके अलावा उनके करीबी लोगों ने भी संजवान इलाके में वन और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया। इसमें खासतौर पर एनसी नेता सैय्यद अली अखून का नाम शामिल है।