सत्य पाल मलिक ने आज जम्मू-कश्मीर के 13वें राज्यपाल के तौर पर शपथ ली। इसके साथ ही पद पर सेवानिवृत्त नौकरशाहों को नियुक्त करने की पांच दशक से चली आ रही परंपरा भी खत्म हो गई।
यहां राज भवन में एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने मलिक को पद की शपथ दिलाई।
मलिक के शपथ लेने से पहले राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सु्ब्रमण्यम ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से जारी नियुक्ति संबंधी पत्र पढ़ा।
समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत करीब 400 लोग मौजूद थे। इसके अलावा भाजपा, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस तथा अन्य राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता और विधायक भी कार्यक्रम में शामिल हुए। नागरिक प्रशासन, पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल और सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी समारोह में मौजूद थे।
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मलिक (72) इस पद पर आसीन होने वाले दूसरे राजनीतिज्ञ हैं। इससे पहले कर्ण सिंह ने 1965 से 1967 तक यह पद संभाला था। मलिक ने नरेंद्र नाथ वोहरा का स्थान लिया है।
वोहरा दस वर्ष तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे, इस अवधि के बाद उन्हें दो माह का सेवा विस्तार दिया गया था । वोहरा ने कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की।
वोहरा समारोह में शामिल नहीं हो पाए क्योंकि वह श्रीनगर से दिल्ली आ रहे थे। वह 1959 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वह वर्ष 1984 में, ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान पंजाब के गृह सचिव थे।
मलिक एक दिग्गज राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय में छात्र नेता के तौर पर शुरुआत की थी। वह वर्ष 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और राज्यसभा सांसद बने थे। लेकिन बोफोर्स घोटाले के चलते तीन वर्ष बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। वह वर्ष 2004 में भाजपा में शामिल हुए थे।
चार अक्तूबर 2017 को बिहार के राज्यपाल पद की शपथ लेने से पहले वह भाजपा के किसान मोर्चा के प्रभारी थे।