सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के मद्देनजर केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवायें बहाल करने के लिए दायर याचिका पर केन्द्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा। केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर कोर्ट को नोटिस का जवाब देना है।
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने ‘फाउन्डेशन फॉर मीडिया प्रफेशनल्स’ की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के बाद केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किए। इस याचिका में जम्मू कश्मीर में इंटरनेट की गति 2जी तक ही सीमित रखने के प्रशासन के 26 मार्च के आदेश को चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुये इस केन्द्र शासित प्रदेश में प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी में इजाफा करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से बंद हुए स्कूलों के छात्र इंटरनेट की बेहतर सुविधा होने पर ही ऑनलाइन के माध्यम से ही अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। इस याचिका में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने का अनुरोध करते हुये आरोप लगाया गया है कि सरकार के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में प्रदत्त समता, बोलने की आजादी और जीवन के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों का हनन होता है।
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2जी संचार सेवा को पुरानी हो चुकी प्रौद्योगिकी बताते हुये याचिका में दलील दी गयी है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर नागरिकों तक तेजी से जानकारी पहुंचाने में 4जी इंटरनेट की गति ज्यादा उपयोगी होगी। याचिका में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में महामारी से दो व्यक्तियों की मृत्यु होने और इससे संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 33 तक पहुंचने के तथ्य को देखते हुए जरूरी है कि इस असाधारण समय में नागरिकों तक सूचनाओं का प्रवाह सुनिश्चत किया जाए।