सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की जन सुरक्षा कानून, 1978 के तहत नजरबंदी को चुनौती देने वाली उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर पांच मार्च को सुनवाई करेगा। सारा पायलट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ के समक्ष सारा पायलट की याचिका पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से जवाब दाखिल किया।
एटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत के एक पूर्व फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि हिरासत में रखने के मामले में याचिकाकर्ता को पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि वह पांच मार्च को इसकी सुनवाई करेगा। सारा ने गत 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अपने भाई उमर अब्दुल्ला को जेके-पीएसए-1978 के तहत हिरासत में लिए जाने को अवैध बताया था।
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खंडपीठ ने गत 14 फरवरी को याचिका की सुनवाई करते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया था। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए आज की तारीख मुकर्रर की थी। उमर अब्दुल्ला 05 अगस्त, 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में थे। इस कानून के तहत, उमर अब्दुल्ला की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि गत गुरुवार यानी पांच फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी, लेकिन सरकार ने उन्हें फिर से पीएसए के तहत हिरासत में ले लिया है।