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शोपियां गोलीबारी : मेजर के पिता की याचिका पर सुनवाई करेगा SC

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सुप्रीम कोर्ट हाल ही में शोपियां में हुई गोलीबारी की घटना में जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए सेना के एक अधिकारी के पिता की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने पर आज सहमति जता दी है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वकील ऐश्वर्या भाटी की इस दलील पर विचार किया कि सैन्य अधिकारी के पिता की याचिका पर तत्काल प्रभाव से सुनवाई होनी चाहिए।

अधिवक्ता ने कहा कि शोपियां में गोलीबारी की घटना के संबंध में मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी गैरकानूनी है। पीठ ने कहा, ”हम सोमवार को इस पर सुनवाई करेंगे।” लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने कहा कि 10 गढ़वाल राइफल्स में उनके मेजर बेटे का इस घटना की प्राथमिकी में ”गलत तरीके से और मनमाने ढंग” से नाम दर्ज किया गया।

यह घटना अफस्पा के तहत इलाके में सैन्य ड्यूटी पर तैनात सेना के एक काफिले से जुड़ी है जिस पर अनियंत्रित भीड़ ने पथराव किया जिससे सैन्य वाहनों को नुकसान पहुंचा। शोपियां के गनोवपुरा गांव में पथराव कर रही भीड़ पर सैन्य कर्मियों की गोलीबारी में दो नागरिक मारे गए थे जिससे मुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच का निर्देश दिया था। मेजर कुमार समेत 10 गढ़वाल राइफल्स के जवानों के खिलाफ रणबीर दंड संहिता की धारा 302 और 307 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

याचिकाकर्ता ने सैनिकों के अधिकारों की रक्षा करने और पर्याप्त मुआवजे का दिशा निर्देश देने के लिए आदेश देने की मांग की ताकि अपनी ड्यूटी पर कार्रवाई करने के लिए किसी भी सैन्यकर्मी को आपराधिक कार्यवाही शुरू करके उत्पीड़ित ना किया जा सकें। साथ ही उन्होंने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाली आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की।

करमवीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि उनके बेटे का इरादा सेना के जवानों और संपत्ति को बचाना था तथा ”आतंकवादी गतिविधि में शामिल हिंसक भीड़ तथा आतंकवादियों को सुरक्षित भगाने के लिए ही” आग भड़काई गई। याचिका में कहा गया है कि अनियंत्रित भीड़ को सेना के काम में बाधा ना डालने, सरकारी संपति को नुकसान ना पहुंचाने और वहां से जाने के लिए कहा गया लेकिन जब स्थिति काबू से बाहर हो गई तो भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चेतावनी दी गई।

इसमें कहा गया है कि ”अवैध रूप से एकत्रित हुए लोग” उग्र हो गए और उन्होंने एक जूनियर कमिशंड अधिकारी को पकड़ लिया। उग्र भीड़ अधिकारी की पीट पीटकर हत्या करने वाली थी तभी उन्हें खदेड़ने तथा सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने के लिए चेतावनी के रूप में गोलियां चलाई गई। सिंह ने शीर्ष न्यायालय को राज्य की स्थिति के बारे में बताने के लिए पिछले साल डीएसपी मोहम्म्द अयूब पंडित की उग्र भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हुई हत्या की घटना का भी हवाला दिया।

साथ ही उन्होंने न्यायालय को यह भी बताया कि कश्मीर में उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैन्य अधिकारी किन स्थितियों में काम करते हैं। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता असल में अत्यधिक प्रतिकूल स्थिति के मद्देनजर इस न्यायालय के समक्ष सीधे तौर पर प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पेश करने के लिए विवश है। इसमें कहा गया है कि जिस तरीके से राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासन इस प्राथमिकी को दिखा रहा है वह राज्य में अत्यधिक द्वेषपूर्ण माहौल को दर्शाता है।

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