जम्मू-कश्मीर के राजौरी के नौशेरा सेक्टर से पकड़े गए फिदीन हमलावर तबारक हुसैन की शनिवार को मौत हो गई। हुसैन ने राजौरी के सेना अस्पताल में इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से दम तोड़ दिया। पीओके के फिदायीन आत्मघाती हमलावर तबारक हुसैन को एलओसी में घुसपैठ की कोशिश करते पकड़ा गया। उनके पैर और कंधे में गोली लगी है। सेना द्वारा पकड़े जाने के बाद आतंकवादी तबारक हुसैन ने पूछताछ में बताया कि उसे भारत में एक आत्मघाती मिशन के लिए भेजा गया था।
तीस हजार की लालच में चुवक बना आतंकवादी
रिपोर्ट के मुताबिक, तबरक हुसैन किस्तान अधिकृत कश्मीर के सब्जाकोट निवासी मिस्त्री मलिक का बेटा था। तबरक हुसैन नाम के इस आतंकी ने कबूल किया था कि उसे पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी ने जवानों पर हमला करने के लिए भेजा था और इसके लिए उसे 30 हजार रुपये का लालच दिया गया था। उसने कबूल किया था कि वह 21 अगस्त को एक चौकी पर फिदायीन हमला करने वाला था, लेकिन घुसपैठ करने से पहले उसे पकड़ लिया गया।
सेना की चौकी पर हमले की फिराक में था यह युवक
उसने यह भी बताया था कि वह अकेला नहीं आया था बल्कि उसके साथ चार-पांच लोग थे और वे एक बड़े हमले की योजना बना रहे थे। आतंकी ने कहा कि उसने सेना की चौकी पर फिदायीन हमले की पूरी तैयारी कर ली थी। तबारक एलओसी पर घुसपैठ की कोशिश कर रहा था, तभी सेना के जवानों की नजर उस पर पड़ी। जवाबी फायरिंग में उन्हें गोली मार दी गई और उन्हें जिंदा पकड़ लिया गया।
मुसीबत में काम नहीं आए दोस्त
आतंकी ने बताया कि उसे चार-पांच बंदूकें भी दी गईं। उसने बताया कि गोली लगने के बाद उसने अपने साथियों को मदद के लिए बुलाया था लेकिन कोई नहीं आया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें सैनिकों पर फिदायीन हमला करने का आदेश दिया गया था। इससे पहले भी ISI ने तबारक हुसैन और उसके भाई अली को एलओसी पर IED लगाने के लिए 2016 में भेजा था। तब तबारक और उसके भाई को पकड़ा गया था। बाद में तबारक को पाकिस्तान को सौंप दिया गया।