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श्रीनगर में आतंकियों ने की सेल्समैन की हत्या, कश्मीरी पंडितों में बैठाना चाहते है डर

जम्मू-कश्मीर में आंतकी फिर से आम व्यक्तियों को निशाना बना रहे है। ऐसा ही एक मामला श्रीनगर में देखने को मिला है। दरअसल आतंकियों ने सोमवार को शहर में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी है।

जम्मू-कश्मीर में आंतकी फिर से आम व्यक्तियों को निशाना बना रहे है। ऐसा ही एक मामला श्रीनगर में देखने को मिला है। दरअसल आतंकियों ने सोमवार को शहर में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी है। मृतक व्यक्ति की पहचान मोहम्मद इब्राहिम खान के रुप में हुई है जो, एक कश्मीरी पंडित ‘रोशन लाल मावा’ नामक व्यकित की दुकान में सेल्समैन का कार्य करता था। गंभीर रूप से घायल होने पर उसे पास के  ‘एसएमएचएस’ अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। खान उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के अस्तेंगो गांव के रहने वाले थे।
कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के लिए काम करते हैं दुकानदार के बेटे
आतंकियों ने जिस दुकान के सेल्समैन को गोली मारी थी। उस दुकान मालिक के बेटे डॉ संदीप मावा सुलह मोर्चा के अध्यक्ष हैं और कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के लिए काम करते हैं। डॉक्टर मावा ने 29 साल तक बंद रहने के बाद 2019 में अपने पिता की दुकान फिर से खोली थी। वरिष्ठ अलगाववादी नेता, मीरवाइज उमर फारूक ने 2019 में दुकान के खुलने के बाद वहां का दौरा किया था। मीरवाइज उमर ने लंबे अंतराल के बाद मावा के कश्मीर लौटने के फैसले का स्वागत किया था और उनके नए उद्यम में उन्हें शुभकामनाएं दी थीं। मावा की दुकान के अपने दौरे के दौरान, मीरवाइज ने कहा था कि कश्मीरी पंडित कश्मीर की संस्कृति और लोकाचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और जो लोग 1990 के दशक की शुरूआत में अपना घर छोड़ चुके थे, उन्हें वापस लौटना चाहिए। उनको अपने मुस्लिम भाइयों के साथ रहना चाहिए और सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की तस्वीर पेश करनी चाहिए।
कश्मीरी पंडितों में डर बैठाना चाहते है आंतकी
मोहम्मद इब्राहिम खान की आतंकवादियों द्वारा की गई भीषण हत्या ने अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित समुदाय की कश्मीर में अपनी जड़ों की ओर लौटने की इच्छा को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया है। श्रीनगर में दो दिनों में यह दूसरी लक्षित हत्या है। श्रीनगर के बटमालू इलाके में रविवार को आतंकियों ने एक पुलिस कांस्टेबल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। दरअसल आतंकी घाटी में कश्मीरी पंडितों में डर बैठाना चाहते हैं ताकि वह दोबारा घाटी में न आए। 

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