एक विरले मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को 16 वर्षीय इरफान रमजान शेख को शौर्य चक्र से सम्मानित किया। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में अपने घर पर हमला करने वाले आतंकवादियों से मुकाबला करने पर शेख को शौर्य चक्र प्रदान किया गया है।
शौर्य चक्र भारत में शांति के समय प्रदान किया जाने वाला वीरता पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को दुश्मन के खिलाफ असाधारण वीरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
साल 2017 में 16-17 अक्टूबर की दरम्यानी रात को आतंकवादियों ने शेख के घर को घेर लिया था। उसके पिता मोहम्मद रमजान पूर्व सरपंच थे और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से जुड़े रहे हैं। मोहम्मद रमजान के सबसे बड़े बेटे शेख ने जब दरवाजा खोला तो उसने बरामदे में तीन आतंकवादियों को देखा। तीनों राइफल और ग्रेनेड से लैस थे।
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शौर्य चक्र के लिए दिए गए प्रशस्ति-पत्र में लिखा था, ‘‘यह भांप लेने पर कि आतंकवादी उनके परिवार को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उन्होंने गजब का साहस दिखाया और कुछ वक्त तक आतंकवादियों के सामने खड़े रहे ताकि उन्हें घर में दाखिल होने से रोका जा सके। इसी बीच, उनके पिता बाहर आए और आतंकवादी उन पर टूट पड़े, जिसके कारण झड़प हो गई।’’
प्रशस्ति-पत्र के मुताबिक, शेख ने अपनी सुरक्षा की जरा भी परवाह नहीं की और आतंकवादियों पर टूट पड़े ताकि अपने पिता और अन्य परिजन की जान बचा सकें। आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी जिसकी वजह से शेख के पिता गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया।
बहरहाल, शेख ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और उस आतंकवादी से लगातार मुकाबला करते रहे जो अंधाधुंध गोलियां चला रहा था। इस झड़प में आतंकवादी भी गंभीर रूप से घायल हो गया। अपने एक साथी को घायल देखकर बाकी दोनों आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की। किन शेख ने उनका पीछा किया और वे अपने साथी का शव छोड़कर भाग गए।
प्रशस्ति-पत्र के मुताबिक, ‘‘इरफान रमजान शेख ने इतनी कम उम्र में असाधारण बहादुरी और परिपक्वता दिखाई।’’