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केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में शांति के दावे पर हो रहे हैं नाकाम साबित : फारूक अब्दुल्ला

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जम्मू & कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा टेरिटॉरियल सेना के एक जवान का अपहरण कर उसे मार डालने की घटना के बाद नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में खराब हो रही सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में शांति बहाल करने के लिए केंद्र की हर प्रतिक्रिया पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए हो।

दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में टेरिटॉरियल सेना के 23 वर्षीय एक जवान की हत्या आतंकवादियों ने अपहरण करने के बाद कर दी थी। जवान छुट्टी पर था। जिले के वतमुल्लाह कीगम इलाके में एक बगीचे से जवान का गोलियों से छलनी शव मिला था।

अब्दुल्ला ने कश्मीर पर केंद्र के विशेष दूत दिनेश्वर शर्मा की लोगों के साथ बैठक को औपचारिक करार देते हुए कहा कि राज्य में शांति गंभीर प्रयासों के बाद ही आएगी।

कठुआ जिले के एक कार्यक्रम में अब्दुल्ला ने कहा, हत्या के मामलों में वृद्धि को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में शांति के दावे नाकाम साबित हो रहे हैं। एक और जवान का अपहरण करके हत्या कर दी गई।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष ने आतंकवादियों द्वारा सीमापार से घुसपैठ को सुरक्षा के वर्तमान हालात के लिए जिम्मेदार बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र के लोगों के हितों के मद्देनजर, केंद्र को हर प्रतिक्रिया पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी समस्याएं सीमा पार से पैदा हो रही हैं और सीमा से सटे हुए इलाकों में रहनेवाले लोगों की स्थिति लगातार हो रही गोलीबारी की वजह से दयनीय हो गई है।

अब्दुल्ला ने कहा, राष्ट्र को विश्वास में लिया जाना चाहिए कि केंद्र सरकार किस तरह से इस मुद्दे को पड़सी देश के साथ सुलझा रही है। पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर को पाकिस्तान का बताने और इस स्थिति में बदलाव न होने संबंधी कथित टिप्पणी के बाद हुई आलोचना से बेअसर अब्दुल्ला ने दोहराया कि यह क्षेत्र में शांति लाने के लिए एकमात्र यथार्थवादी समाधान है। उन्होंने कहा, नियंत्रण रेखा को शांति रेखा बनाने से दोनों तरफ रहनेवाले लोगों के जीवन में सुधार होगा और इससे सद्भावना बढ़गी।

अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर पाकिस्तान का है और यह स्थिति कभी नहीं बदलने वाली है चाहे भारत-पाकिस्तान के बीच कितने ही युद्ध क्यों न हो जाएं।  कश्मीर के लिए केंद्र के विशेष प्रतिनिधि की नियुक्ति के बारे में उन्होंने कहा वार्ताकार की लोगों से मुलाकातें केवल औपचारिकता है और शांति तब ही आएगी जब इसके लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे।

पथराव करनेवाले लोगों के मामले खत्म करने और उन्हें जेल से बाहर निकालने के प्रस्ताव के बारे में नेंका अध्यक्ष ने कहा कि गठबंधन सरकार इसको लेकर खुद ही अनिश्चित है। कभी वह पथराव कर रहे लोगों को छोड़ने की बात करती है तो कभी किशोरों को सुधार केंद्र में भेजने की बात करती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने राशन वितरण और राज्य में बढ़ रही महंगाई पर भी सवाल खड़ किए।

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