जम्मू क्षेत्र के अधिकतर हिस्सों में शनिवार को उच्च न्यायालय और निचली अदालतों के वकीलों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण कामकाज ठप रहा। ये वकील विभिन्न दस्तावेजों को पंजीकृत करने के न्यायिक अदालतों के अधिकार को छीनकर उसे राजस्व विभाग के हवाले करने के हालिया फैसले के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (जेकेएचसीबीए) के जम्मू खंड ने शुक्रवार को हड़ताल का आह्वान किया। जेकेएचसीबीए उच्च न्यायालय को मौजूदा स्थान जानीपुर से शहर के बाहरी इलाके में स्थानांतरित किये जाने के प्रस्ताव का भी विरोध कर रही है। वकीलों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को नवनियुक्त उपराज्यपाल जी सी मुर्मू के लिये बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
मुर्मू 31 अक्टूबर से प्रभाव में आये केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पहले उपराज्यपाल हैं। 23 अक्टूबर को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) ने नये विभाग के निर्माण को मंजूरी दी थी जो बिक्री, उपहार, गिरवी, लीज एवं वसीयत जैसी अचल संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण को लेकर आम नागरिकों को व्यधान रहित एवं त्वरित सेवा उपलब कराने के लिये राजस्व विभाग के पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करेगा। इससे पहले राजस्व विभाग सिर्फ ‘फर्द इंतखाब’ (मूल रिकॉर्ड के संदर्भ में संपत्ति का प्रमाणीकरण) और जमीन के मूल्य का आंकलन (जिसके आधार पर उसकी न्यायिक अधिकारियों द्वारा रजिस्ट्री की जाती है) के कार्य में शामिल था।
वकीलों की हड़ताल के कारण उच्च न्यायालय, जिला अदालतों, अधीनस्थ अदालतों, न्यायाधिकरणों एवं राजस्व अदालतों समेत सभी अदालतों में कामकाज लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी बाधित रहा। इस फैसले के खिलाफ भाजपा, कांग्रेस समेत लगभग सभी प्रमुख दलों ने नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि यह बदलाव जनता के हित में नहीं है। इस बीच वित्त आयुक्त राजस्व पवन कोतवाल ने यहां सभी रजिस्ट्रारों की बैठक बुलायी और पंजीकरण की प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
कोतवाल को जम्मू कश्मीर का महानिरीक्षक पंजीकरण बनाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कोतवाल ने सभी रजिस्ट्रारों को कहा कि वे लोगों को इस बात से अवगत करायें कि अब पंजीकरण के लिए अतिरिक्त उपायुक्त एवं उपमंडलीय मजिस्ट्रेट अधिकृत हैं ताकि अपने दस्तावेजों के पंजीकरण के लिये उन्हें किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।