जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद सरकार के द्वारा कई बड़े बदलाव किए गए हैं। जहां यहां की पुरानी सरकार ने अपने कार्यकाल में जो गलग गतिविधियां हो रही थी उसे अब केन्द्र सरकार के द्वारा ठिक किया जा रहा है। और इस बीच लाखों कनाल सरकारी भूमि पर कब्जा जमाए बैठे अतिक्रमणकारियों को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। जम्मू कश्मीर प्रशासन के सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगाने संबंधी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
डोडासन के अब्दुल रशीद व पांच अन्य ने दायर की याचिका
बता दें कि यह याचिका राजौरी जिले के डोडासन के अब्दुल रशीद व पांच अन्य ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के प्रदेश प्रशासन के नौ जनवरी के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हम इन्हें गरीब कैसे कह सकते हैं, अगर इस जमीन पर उन लोगों की दुकानें हैं। ऐसे मामले में हम उन्हें कुछ समय कब्जा हटाने के लिए दे सकते हैं।
काहचराई पर हुए अतिक्रमण पर भी लागू
यह टिप्पणी कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से जमीन पर दुकान बनाए जाने के पेश दस्तावेजों पर गौर करने के बाद की। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला रोशनी अधिनियम और घास का मैदान जमीन पर हुए अतिक्रमण पर भी लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने खुद को रोशनी अधिनियम का लाभार्थी बताया, जिस पर कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि उस अधिनियम को रद कर दिया गया है।
रोशनी योजना का लाभ लेने वाले बड़े लोग
वहीं, न्यायमूर्ति बीबी नागरत्ना ने कहा कि एक बार अधिनियम निरस्त हो जाने के बाद उसे बचाने का सवाल नहीं बचता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को याचिका वापस लेने का मौका भी दिया, जिसके साथ इसे खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि रोशनी योजना का लाभ लेने वाले बड़े लोग हैं।
अगर कोर्ट आपके कब्जे की रक्षा करता है तो यह पूरे जम्मू कश्मीर में अतिक्रमण विरोधी अभियान को प्रभावित करेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा जमाए बैठे लोगों को जोरदार झटका लगा है।