कश्मीर से करीब 28 साल पहले आतंकी कि राह पर चलने के लिए घर से निकला नोजवान आज एक मशहूर गायक के रूप सामने आया है। इस गायक का हाल में कश्मीरी लोकगीत ‘हो गुलो’ आजकल कश्मीर घाटी में युवाओं की जुबान पर चढ़ा हुआ है। इस गाने को कश्मीर में सीमा के दोनों तरफ के लोग पसंद कर रहे हैं। आतंकी बनने गए युवक का नाम मोहम्मद अल्ताफ मीर है। मीर अनंतनाग के रहने वाले हाल ही में कोक स्टूडिया पाकिस्तान की ओर से उनका गाना जारी होने के बाद वे एक लोकप्रिय गायक बन गए। उनके गाने को सिर्फ दो दिन 1,50,000 से ज्यादा लोग देख चुके हैं।
‘हो गुलो’ गाना प्रसिद्ध कश्मीरी कवि, स्वर्गीय गुलाम अहमद मेहजूर के एक पुराने क्लासिक्स में से है। कश्मीर के अनंतनाग इलाके के रहने वाले मोहम्मद अल्ताफ 28 साल पहले, 1990 में आतंकी बनने के लिए अपना घर छोड़ कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर चले गए थे। वे अपने साथ कई युवाओं को भी ले गए थे। लम्बे समय तक घर से कोई संपर्क न होने के चलते उनके परिजनों ने मान लिया था कि उनकी मौत हो चुकी है। इसी बीच कोक स्टूडियो पाकिस्तान की ओर से उनका गाना जारी किए जाने के बाद उनके जीवित होने की बात सामने आयी। मीर के सुर्खियों में आने के बाद पता चला कि वे कई वर्षों तक रेडियो पाकिस्तान से जुड़े रहे अल्ताफ मीर का गाना लोकप्रिय होने से परिजनों को भी पता चला कि वो जिन्दा है।
ऐसे में परिजन उसे घर वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कई माध्यमों से मीर से गुहार लगाई है कि वो घर वापस लौट आएं। उन्होंने कहा कि 28 साल पहले खबर आई थी कि वह आतंकी बन गया। पर अब इस बात का संतोष है कि वो अच्छा काम कर रहा है। मोहम्मद अल्ताफ मीर की ओर से हाल ही में मुज्जफराबाद में दिए गए एक वीडियो इंटरव्यू में मीर बताते हैं, उन्होंने कई दस्तों के साथ आतंकी बनने के लिए बॉर्डर पार किया था। हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने के कुछ दिन बाद वह घर लौट आए थे। इसके बाद वो दिन में बस कंडक्टरी करते थे और शाम को कपड़ों पर चेन की सिलाई किया करते थे। उन्होंने सूफियाना महफिलों में गाना शुरू कर दिया। वो महफिलों में डफली भी बजाते थे।