श्रीनगर : कश्मीर में आतंकियों से लोहा ले रहे सेना के जवानों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। मंगलवार सुबह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के काकापोरा में सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर अबु दुजाना को मार गिराया। सेना की हिट लिस्ट में शामिल दुजाना पर 15 लाख का इनाम था। पाक का मूल निवासी दुजाना साउथ कश्मीर में दिसंबर 2014 से एक्टिव था और सुरक्षा बलों को पांच बार चकमा दे चुका था। हाल में उसके अल कायदा की कश्मीर ब्रांच में ज़ाकिर मूसा के साथ जुड़ने की खबर आई थी। इस मुठभेड़ में दो और आतंकी भी मारे गए।
दुजाना पहले सुरक्षाबलों को दे चुका है चकमा
19 जुलाई को भी सेना ने अबु दुजाना को घेरा था। पुलवामा के बंदेरपुरा गांव में सेना और एसओजी के जवानों ने अबु दुजाना को पकड़ने के लिए जाल बिछाया था। मगर दुजाना चकमा देकर फरार हो गया था। इससे पहले मई महीने में भी सुरक्षाबलों ने हकरीपोरा गांव में ही सुरक्षाबलों ने दुजाना की घेराबंदी की थी। खबर मिली थी कि अबु दुजाना अपने साथियों के साथ गांव में छिपा है। जिसे पकड़ने के लिए सेना ने ऑपरेशन चलाया। उस दौरान गांववालों की पत्थरबाजी के बीच अबु दुजाना फरार होने में सफल रहा था।
ज्ञात हो कि सेना को अबु दुजाना की काफी लंबे समय से तलाश थी। दुजाना को उधमपुर में बीएसएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले और पंपोर आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है।
जानिए कौन था अबु दुजाना :
- दुजाना लश्कर कमांडर अबू कासिम के मारे जाने के बाद आतंकी संगठन का टॉप कमांडर बन गया था.
- वो सात साल से कश्मीर में सक्रिय था और उस पर 8 लाख का इनाम था.
- दुजाना पहले कई बार सुरक्षा बलों चकमा देकर भाग चुका था.
- 19 जुलाई को भी सेना ने अबु दुजाना को घेरा था, अबु दुजाना को पकड़ने के लिए जाल बिछाया था, मगर दुजाना चकमा देकर फरार हो गया था.
- इसी साल के मई महीने में भी दुजाना को इसी गांव में सेना ने घेर लिया था मगर गांव वालों ने पत्थरबाजी कर उसे भागने में मदद की थी.
- दुजाना को उधमपुर में बीएसएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले और पंपोर आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है.
- दुजाना की हाल ही में शादी हुई थी.
क्या है लश्कर-ए-तैयबा
लश्कर-ए-तैयबा एक आतंकी संगठन है जिसने भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है. यह दक्षिण एशिया के सबसे बडे़ इस्लामी आतंकवादी संगठनों में से एक है. इसकी शुरुआत अफगानिस्तान के कुन्नार प्रोविंस में वर्ष 1987 में हुई थी. हाफिज सईद के अलावा इस संगठन को शुरू करने में अब्दुल्ला आजम और जफर इकबाल नामक दो और व्यक्ति शामिल थे.
बताया जाता है कि अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन लश्कर को पैसे मुहैया करता था. इस आतंकी संगठन का हेडक्वार्टर लाहौर के पास पंजाब प्रांत के मुरीदके में स्थित है. इस संगठन ने भारत के विरुद्ध कई बड़े हमले किये हैं. अमेरिका में सितम्बर 2001 में हुए आतंकी हमले के बाद परवेज़ मुशर्रफ़ ने लश्कर पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था.
5 दिसंबर 2001 में अमेरिका ने इसे अपनी आतंकी लिस्ट में शामिल किया. भारत ने भी इसे एक कानून के तहत बैन कर दिया था. ब्रिटेन ने भी इसे आतंकी संगठन करार दिया है. संयुक्त राष्ट्र ने 2005 में लश्कर पर बैन लगाया था.
लश्कर के आतंकी कैंप्स पाकिस्तान के कई हिस्सों में मौजूद हैं. लश्कर के बेस कैंप मरकज-ए-तैयबा के नाम से जाना जाता है.
घाटी में सेना का ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ जारी
बता दें कि सेना कश्मीर से आतंकियों का सफाया करने के लिए ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ अभियान चलाया है। इसके तहत आतंकियों की एक लिस्ट तैयार की गई है। जिसके आधार पर अलग-अलग इलाकों में आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन उन्हें ढेर किया जा रहा है। अब तक इस ऑपरेशन के तहत करीब 100 आतंकियों को घाटी में ढेर किया जा चुका है। दो दिन पहले पुलवामा के तहाब इलाके में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में हिज्बुल के दो आतंकी ढेर हो गए थे।
कश्मीर के बोनिता सेक्टर में मिला आतंकी का शव
इससे पहले सोमवार को कश्मीर के बोनिता सेक्टर में सुरक्षा बलों को नियंत्रण रेखा के पास एक आतंकवादी का शव मिला। शनिवार रात तोरना पोस्ट पर नियंत्रण रेखा के पास संदिग्ध गतिविधि नजर आने पर सेना के जवानों ने गोलियां चलाईं। सोमवार को इलाके में तलाशी अभियान के दौरान आतंकी का शव बरामद हुआ। अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल से एक राइफल भी बरामद हुई।
गिलानी के सहयोगी के घर पर एनआईए का छापा
दूसरी ओर एनआईए ने कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के करीबी सहयोगी माने जाने वाले एक वकील के पैतृक घर पर सोमवार को छापा मारा। यह छापेमारी पाकिस्तान स्थित आकाओं की ओर से अलगाववादियों को पैसे भेजे जाने के संदेह में की गई है। देविंद्र सिंह बहल की भारत विरोधी गतिविधियों और अलगाववादियों के साथ संपर्कों के विरोध में उनके गृह स्थान नौशेरा में खूब प्रदर्शन हुए।
एक अधिकारी ने बताया कि एनआईए के दल ने राजौरी जिले की नौशेरा पट्टी स्थित बहल के पैतृक घर में छापेमारी की। एजेंसी ने कल वकील के जम्मू स्थित कार्यालय और आवास पर तलाशी ली थी। बहल जम्मू एंड कश्मीर सोशल पीस फोरम के अध्यक्ष हैं, यह गिलानी के नेतृत्व वाले तहरीक ए हुर्रियत का ही हिस्सा है।
इसके अलावा वह गिलानी के अलगाववादी संगठन के विधि प्रकोष्ठ के भी सदस्य हैं। वह गिलानी के करीबी सहयोगी हैं। आतंकरोधी जांच एजेंसी ने कहा था कि बहल आतंकियों की शवयात्राओं में भी नियमित तौर पर शामिल होते हैं।