हरिद्वार : प्रयागराज दिव्य कुंभ मेले से लौटे पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के संतों महंतों का अखाड़े और शहर के गणमान्य लोगों द्वारा रेलवे स्टेशन पर फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया गया। ढोल नगाड़ों और बैण्ड बाजों की धुन पर प्रयागराज कुंभ मेले से लौटी जमात का मुख्य मार्गो पर भी स्वागत किया गया। कुंभ स्नान कर लौटे संतों का स्वागत करते हुए संतों ने कहा कि प्रयागराज कुंभ मेले में सनातन परम्पराओं की अदभूत छटा पूरे विश्व ने देखी। कुंभ स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन हो जाता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
संत महापुरूषों से ही कुंभ मेले की पहचान देश दुनिया में जानी जाती है। प्रयागराज कुंभ मेले की व्यवस्थाओं पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने संत महापुरूषों और आम जनमानस को बेहतर सुविधाएं प्रदान की। प्रयागराज कुंभ मेले की तर्ज पर ही 2021 में हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ के लिए उत्तराखण्ड सरकार को व्यवस्थाएं करनी चाहिए। श्रीमहंत गिरी महाराज ने कहा कि अद्भूत छटा का मनमोहक व भव्य दृश्य प्रयागराज कुंभ मेले में देखने को मिलीे। देश दुनिया के श्रद्धालुओं ने कुंभ मेले में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
उन्होंने कहा कि संत समाज सनातन परंपराओं को निर्वाह करने में अपना सहयोग प्रदान करता चला आ रहा है। धार्मिक क्रियाकलापों से ही सनातन परंपराओं का पता चलता है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से ईश्वर भक्ति करनी चाहिए। भगवान अवश्य ही भक्तों को सुख समृद्धि प्रदान करता है। संतों ने कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी लगातार समाज सेवा में बढ़चढ़ कर अपना योगदान देता चला आ रहा है। अखाड़े से चलाए जा रहे कई सेवा प्रकल्पों के माध्यम से गरीब, निसहाय व निर्धनों की मदद अखाड़े द्वारा की जाती है। गौसेवा व गंगा सेवा के लिए ही लगातार संत समाज अग्रणी भूमिका निभाता चला आ रहा है।
उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों की पहचान उनके धार्मिक क्रियाकलापों व सनातन परंपराओं के प्रचार किए जाने से ही होती है। इस अवसर पर अशोक मिश्रा, राकेश गोयल, स्वामी आकाश गिरी, स्वमी अमित पुरी, स्वामी राज राजेश्वर वन, स्वामी कुलदीप गिरी, स्वामी बलबीर पुरी, स्वामी नीलकंठ गिरी, स्वामी महेश गिरी, स्वामी राकेश गिरी, स्वामी केशव पुरी, स्वामी राधेश्याम पुरी, स्वामी राधे गिरी, स्वामी राजगिरी, स्वामी राजेंद्र भारती, स्वामी केशव पुरी, स्वामी राजगिरी आदि ने भी संतों को फूलमालाएं पहनाकर व मिठाई खिलाकर स्वागत किया। कुंभ से लौटे संतों ने जमकर जयघोष के नारे लगाए।
– संजय चौहान