पटना : मुज़फ्फरपुर में एक और शेल्टर होम का विवाद सामने आया है। शेल्टर होम से 11 महिलाएं और 4 बच्चे ग़ायब हैं। आरोप है कि 52 दिनों तक मामले को दबाया गया। एफआईआर दर्ज करने की अनुमति लेने का बहाना बनाकर वक्त बर्बाद किया गया। ये शेल्टर होम भी ब्रजेश ठाकुर के ही एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा था। बृजेश ठाकुर के गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित एक स्वयं सहायता समूह के परिसर से 11 महिलाओं के लापता होने के बाद ठाकुर के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की गई है।
मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों का मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न करने के मामले में ठाकुर न्यायिक हिरासत में है। महिला थाना प्रभारी ज्योति कुमारी ने बताया कि ठाकुर के गैर सरकारी संगठन सेवा संकल्प एवं विकास समिति के परिसर से स्वयं सहायता समूह की 11 महिलाओं के लापता होने के मामले में समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक देवेश कुमार शर्मा ने 30 जुलाई को ठाकुर के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की है। बच्चियों के यौन उत्पीड़न का मामला पिछले महीने सामने आया था जिसके बाद एनजीओ को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया था। इसके बाद से एनजीओ द्वारा संचालित अन्य गृहों की स्थिति का निरीक्षण किया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निरीक्षण के दौरान पाया गया कि छोटी कल्याणी इलाके में स्थित परिसर में रहने वाली स्वयं सहायता समूह की 11 महिलाएं लापता हैं। उनके बारे में एनजीओ ने समाज कल्याण विभाग को आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी है।
मुजफ्फरपुर पुलिस ने बुधवार को शेल्टर होम ‘स्वाधार गृह’ से बड़ी मात्रा में कंडोम और दवाइयां बरामद की हैं। यह शेल्टर होम शाहू रोड के छोटी कल्याणी पर स्थित है। फोरेंसिक एक्सपर्ट के साथ पुलिस ने शेल्टर होम की जांच की तो वहां बड़ी मात्रा में कंडोम मिले।
स्वधार गृह पर फिलहाल बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई है और पूरे परिसर की छानबीन की जा रही है। सुधार गृह से लापता हुईं 11 महिलाओं और चार बच्चों का अभी तक पता नहीं चल पा रहा है। सेवा संकल्प एवं विकास समीति नाम का यह एनजीओ बृजेश ठाकुर का था। यह भी कहा जा रहा है कि इस शेल्टर होम से कई तरह की दवाइयां भी मिली हैं, जिन्हें पुलिस ने सीज कर दिया है। फिलहाल पुलिस ने दवाइयां जांच के लिए भेज दी हैं ताकि इस बात का पता लग सके कि आखिर इन दवाइयों को किसलिए प्रयोग में लाया जाता था।
उधर, सीएफएसएल की एक टीम जल्द ही मुजफ्फरपुर जाकर आश्रय गृह से फॉरेंसिक नमूने इकट्ठा करेगी। अधिकारियों ने बताया कि पीड़िताओं के बयानों का इस्तेमाल कर समझने की कोशिश की जाएगी कि अपराध को कैसे अंजाम दिया गया और फिर इस ब्योरे का इस्तेमाल आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया जाएगा। सीबीआई पीड़िताओं के बयान दर्ज करने के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद ले सकती है। कुछ पीड़िताओं की उम्र महज छह-सात साल हैं।
बिहार सरकार द्वारा वित्तपोषित एनजीओ के प्रमुख ब्रजेश ठाकुर ने आश्रय गृह की करीब 30 लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार किया। सीबीआई उन डॉक्टरों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों के भी बयान दर्ज करेगी और उनसे साक्ष्य इकट्ठा करेगी जिनकी सेवाएं पुलिस ने अपनी जांच के दौरान ली थी। मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस्स) की ओर से अप्रैल में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें पहली बार इस आश्रय गृह में रह रही लड़कियों से कथित दुष्कर्म की बात सामने आई थी। इस मामले में बीते 31 मई को ब्रजेश ठाकुर सहित 11 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अब सीबीआई ने इस मामले की जांच संभाल ली है।