हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) महाराष्ट्र की कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के लिए तैयार है। इसके साथ ही एआईएमआईएम यह साबित करने के लिए बेताब है कि वह भारतीय जनता पार्टी की 'टीम बी' नहीं है।
एआईएमआईएम की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख इम्तियाज जलील ने शुक्रवार रात संवाददाताओं से कहा कि उनकी मां के निधन के कुछ दिनों बाद शुक्रवार को टोपे उनसे मिलने आए थे। जलील ने कहा कि अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि भारतीय जनता पार्टी एआईएमआईएम की वजह से जीतती है, क्योंकि मुस्लिम मतों का विभाजन हो जाता है।
कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार AIMIM
जलील ने कहा, “इस आरोप को गलत साबित करने के लिए मैंने टोपे को गठबंधन के लिए तैयार होने की जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने मेरे प्रस्ताव के बारे में कुछ नहीं कहा।” उन्होंने कहा, अब हम यह देखना चाहते हैं कि ये एआईएमआईएम के खिलाफ महज आरोप हैं या फिर कांग्रेस-एनसीपी हमारे साथ हाथ मिलने को तैयार हैं।
एआईएमआईएम के प्रस्ताव को लेकर शिवसेना के संभावित रुख पर औरंगाबाद से सांसद जलील ने कोई भी स्पष्ट जवाब देने से इनकार कर दिया। जलील ने कहा, “हकीकत यह है कि ये पार्टियां मुस्लिमों के वोट चाहती हैं। सिर्फ एनसीपी ही क्यों? कांग्रेस भी कहती है कि वह धर्म निरपेक्ष है और उसे भी मुस्लिम वोट चाहिए। हम उसके साथ भी हाथ मिलाने को तैयार हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी देश का काफी नुकसान कर चुकी है और एआईएमआईएम उसे हराने के लिए सब कुछ करने को तैयार है। जलील ने कहा कि एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ भी गठबंधन के बारे में बात की थी, लेकिन वे मुसलमानों के वोट चाहते थे, पर असदुद्दीन ओवैसी को नहीं, जो पार्टी के प्रमुख हैं।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भी ये पार्टियां (कांग्रेस और एनसीपी) मुसलमानों के वोट चाहती हैं, लेकिन एआईएमआईएम को नहीं। यह पूछे जाने पर कि क्या गठबंधन का उनका प्रस्ताव औरंगाबाद नगर निगम तक सीमित है? इसके जवाब में जलील ने कहा कि एआईएमआईएम का भावी कदम कांग्रेस और एनसीपी से मिली प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, “नहीं तो हम अकेले जा सकते हैं। हम उन्हें गठबंधन का मौका दे रहे हैं, क्योंकि वे हमें भाजपा की ‘बी’ टीम कहते हैं।”