हनुमान चालीसा विवाद को लेकर बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और विधायक रवि राणा की याचिका खारिज कर दी, जिसमें राणा दंपत्ति ने अपने खिलाफ दर्ज हुई दूसरी प्राथमिकी को रद्द करने के लिए अदालत का रुख किया था। हाई कोर्ट ने उन्हें फटकार लगते हुए याचिका को खारिज कर दिया है, बंबई हाई कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि राज्य में अशांति फैलने की आशंका उचित है। कोर्ट ने कहा कि जिनती बड़ी पावर होती है, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी होती है ।
जानें क्या है हनुमान चालीसा विवाद का पूरा मामला
दरअसल, मुंबई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास 'मातोश्री' के बाहर हनुमान चालीसा का जाप करने का आह्वान करने के बाद दंपति को शनिवार को गिरफ्तार किया गया था। रविवार को मुंबई की बांद्रा अदालत ने राणा दंपति को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। राणा दंपत्ति पर आईपीसी की धारा 153 (ए) (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना) और धारा 135 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मुंबई पुलिस अधिनियम (पुलिस के निषेधाज्ञा का उल्लंघन) द्वारा दंपति को खार पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उनके खिलाफ पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में पुलिस ने उनके खिलाफ मामले में आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह) भी जोड़ा।
दिलीप वालसे पाटिल ने गिरफ्तारी को बताया था उचित
एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने उपनगर खार में उनके आवास पर गिरफ्तारी का विरोध करने और पुलिस की ड्यूटी में बाधा डालने के आरोप में राणा दंपत्ति के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की थी। महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने रविवार को राणा दंपत्ति की गिरफ्तारी को 'उचित' करार दिया था। पुलिस ने शनिवार को राणा दंपत्ति के खार आवास के बाहर कथित रूप से विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में रविवार को शिवसेना के 13 कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया था। पुलिस ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।