केरल के पलक्कड़ जिले में 15 अप्रैल को पीएफआई के एक नेता की हत्या करने के आरोप में आरएसएस के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। केरल पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि तीनों आरएसएस के एक नेता के दोस्त थे, जिसकी पिछले साल नवंबर में यहां हत्या कर दी गई थी।
सभी आरएसएस के कार्यकर्ता हैं
एडीजीपी (कानून व्यवस्था) विजय सखारे ने बताया कि तीन आरोपियों रमेश, अरुमुघन और सरवनन को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी आरएसएस के कार्यकर्ता हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने नवंबर 2021 में आरएसएस नेता संजीत की मौत का बदला लेने के लिए सीधे तौर पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेता सुबैर (43) की हत्या की।
संलिप्तता का खुलासा नहीं हुआ
एडीजीपी ने कहा कि इनमें से रमेश संजीत का बहुत करीबी दोस्त था। रमेश के अनुसार संजीत ने उससे कहा था कि अगर उसे कभी कुछ हुआ तो उसके लिए सुबैर जिम्मेदार होगा। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संजीत की हत्या की जांच के दौरान सुबैर की संलिप्तता का खुलासा नहीं हुआ था। इसलिए, संजीत की हत्या के बाद रमेश ने कथित तौर पर पीएफआई नेता की हत्या की योजना बनानी शुरू कर दी और तीनों ने उसे एक-दो बार मारने की कोशिश की, लेकिन इलाके में पुलिस की मौजूदगी के कारण वे ऐसा नहीं कर सके। अधिकारी ने कहा कि 15 अप्रैल को वे फिर आए और हत्या को अंजाम दिया।
हत्या के संबंध में सखारे ने कहा
सखारे ने बताया कि यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या कोई अन्य साजिशकर्ता इसमें शामिल था। आरएसएस नेता एस के श्रीनिवासन (45) की हत्या के संबंध में सखारे ने कहा कि आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है। अधिकारी ने कहा, ''वे फरार हैं। इसलिए उन्हें गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की जा रही है।''
दोनों मामलों में अब तक पहचाने गए दोषियों
सखारे ने सोमवार को कहा था कि दोनों मामलों में अब तक पहचाने गए दोषियों में पीएफआई-एसडीपीआई और भाजपा-आरएसएस दोनों के सदस्य या कार्यकर्ता शामिल हैं।आरएसएस के पूर्व जिला नेता और पदाधिकारी श्रीनिवासन पर शनिवार को मेलमुरी में उनकी मोटरसाइकिल की दुकान पर छह सदस्यीय गिरोह ने हमला किया था। इससे महज 24 घंटे पहले शुक्रवार दोपहर जुमे की नमाज पढ़कर अपने पिता के साथ घर लौट रहे सुबैर की जिले के इलापुल्ली में हत्या कर दी गई थी।
लोगों की एक के बाद एक हत्याओं की इस तरह की यह दूसरी घटना
केरल में पिछले कुछ महीनों में भाजपा/आरएसएस और एसडीपीआई/पीएफआई से जुड़े लोगों की एक के बाद एक हत्याओं की इस तरह की यह दूसरी घटना है। पिछले साल दिसंबर में अलाप्पुझा में 24 घंटे के भीतर एसडीपीआई के एक नेता और बीजेपी के एक नेता की हत्या कर दी गई थी।