गुजरात के भरूच में एक अस्पताल में शुक्रवार देर रात आग लगने की घटना में कोरोना वायरस के 16 मरीजों और दो प्रशिक्षु नर्सों की मौत हो गई। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। राज्य सरकार ने कहा कि आग की घटना की एक न्यायिक जांच की जाएगी जिसमें एक परोपकारी ट्रस्ट द्वारा संचालित पटेल वेलफेयर अस्पताल की गहन देखभाल इकाई नष्ट हो गई।
पुलिस अधीक्षक राजेन्द्रसिंह चुडास्मा ने कहा, ‘‘सोलह कोरोना वायरस रोगियों और दो नर्सिंग कर्मचारियों की कोविड-19 इकाई के अंदर झुलसने या दम घुटने से मौत हो गई।’’ अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि देर रात करीब एक बजे आईसीयू में जब आग लगी तब कोविड-19 इकाई में 57 मरीजों का इलाज चल रहा था जिसमें से 22 मरीज भूतल पर स्थित आईसीयू में थे। उन्होंने कहा कि यह आग शायद शॉर्ट सर्किट के कारण लगी।
एक अधिकारी ने बताया कि बचाव कार्यों के लिए दमकल कर्मियों के अलावा 15 अधिकारियों सहित लगभग 100 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया था। अधिकारी ने बताया कि आग पर एक घंटे के भीतर काबू पा लिया गया। स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों ने बचाव अभियान में मदद की। इस दौरान कई मरीजों को एम्बुलेंस द्वारा अन्य सुविधाओं में स्थानांतरित किया गया।
कुछ को व्हीलचेयर पर या कपड़े से बने अस्थायी स्ट्रेचर पर इमारत से बाहर लाया गया।चार-मंजिला निर्दिष्ट कोविड-19 अस्पताल अहमदाबाद से 190 किलोमीटर दूर भरूच-जंबूसर राजमार्ग पर स्थित है। सहायक पुलिस आयुक्त विकास सुदा को आग की इस घटना की जांच सौंपी गई है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव (श्रम) विपुल मित्रा और नगर पालिका प्रशासन के आयुक्त राजकुमार बेनीवाल को जांच करने का निर्देश दिया। दोनों आईएएस अधिकारी शनिवार दोपहर में मौके पर पहुंचे और आईसीयू का दौरा किया। रूपाणी ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार इस त्रासदी की न्यायिक जांच भी करेगी। वडोदरा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक हरिकृष्ण पटेल ने भी अस्पताल का दौरा किया। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) और राज्य के स्वामित्व वाली बिजली वितरक कंपनी की टीमें भी मौके पर पहुंचीं।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री कुमार कनानी ने संवाददाताओं से कहा कि एयर कंडीशनर और वेंटिलेटर के चौबीस घंटे इस्तेमाल से अस्पतालों में आग लगने का खतरा बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘भरूच के एक अस्पताल में आग लगने हुई जनहानि से दुखी हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना।’’
शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं गुजरात के भरूच के एक अस्पताल में आग की दुर्घटना से बेहद दुखी हूं। मैं इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूं।’’ अस्पताल के बाहर अफरातफरी का माहौल था। अधिकारी मृतकों के परिजनों को शांत करने की कोशिश कर रहे थे जो इस दुर्घटना के लिए अस्पताल प्रशासन को दोषी ठहरा रहे थे।
अस्पताल के भीतर, दृश्य और अधिक भयावह थे जहां हादसे की दिल दहला देने वाली तस्वीरों में कुछ मरीजों के शव स्ट्रेचरों और बिस्तरों पर झुलसे नजर आए। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, ‘‘आग इतनी भीषण थी कि आईसीयू वार्ड जलकर खाक हो गया। वेंटिलेटर और दवाएं रखने के लिए फ्रिज के साथ ही बिस्तरों सहित अंदर रखे सभी उपकरण पूरी तरह जल गए।’’
सिविल अस्पताल में स्थानांतरित किए गए एक मरीज की एक रिश्तेदार को राख के ढेर में मरीज की केस फाइल तलाशते देखा गया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं फ़ाइल तलाश रही हूं ताकि उस अस्पताल के डॉक्टर तुरंत इलाज शुरू कर सकें जहां उन्हें (मरीज को) ले जाया गया है।’’ इससे पहले 26 मार्च को सूरत के एक अस्पताल में आग लगने के बाद स्थानांतरित किये जाने के दौरान चार मरीजों की मौत हो गई थी।
भरूच अस्पताल में शुक्रवार को लगी आग में जान गंवाने वाले कोविड-19 मरीजों की पहचान सईद पटेल, एडम सरिघाट, इब्राहिम रैंडेरा, यूसुफ दीवान, आयशा जॉली, आरिफा मंसूरी, शबीना पटेल, रशीदा मोरली, रेणुका सोलंकी, आयशा पटेल, हजरत वलीशा दीवान, जुलेला इस्माइल पटेल, मेहरुबेन मुसाभाई, यूसुफ बेलिम, जरीना मुसाभाई और महेंद्र श्रीमाली के रूप में की गई। वहीं माधवी पडियार और फरीदा खातून, दोनों प्रशिक्षु नर्सों ने भी इस आग में जान गंवा दी।