असम के आंगनवाड़ी केंद्रों में सत्यापन के दौरान करीब 19.96 लाख फर्जी लाभार्थी पाए गए। यह खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिले जवाब में हुआ। असम में कुल 62,153 आंगनवाड़ी हैं, जिनमें 5,94,296 गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं सहित कुल 36,24,973 लाभार्थी पंजीकृत हैं।
केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को आंगनवाड़ी में पंजीकृत लाभार्थियों का सत्यापन करने का निर्देश दिया है। यह एक तरह से ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र हैं, जिनकी स्थापना सरकार ने छह साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण की समस्या से निपटने और गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं की पोषाहर जरूरतों को पूरा करने के लिए की है।
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदन का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बताया कि 19.96 लाख फर्जी लाभार्थियों (बच्चे, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएं) के नाम असम सरकार ने हटाए हैं जबकि अन्य राज्यों से रिपोर्ट का इंतजार है।
मंत्रालय ने आगे बताया कि लाभार्थियों की पहचान आधार नंबर की मदद से गई, जिसे सेवा हासिल करने के लिए पहचान के तौर इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि पारदर्शिता एवं दक्षता लायी जा सके। आरटीआई जवाब के मुताबिक, ‘‘ जिन लाभार्थियों के पास आधार कार्ड नहीं है, उनकी मदद क्षेत्रीय कार्यकारी करेंगे। जब तक आधार कार्ड नहीं बन जाता, तब तक उन्हें वैकल्पिक पहचान पत्र के आधार पर आंगनवाड़ी सुविधाएं मिलती रहेंगी।
अधिकारियों ने कहा कि फर्जी लाभार्थियों की पहचान करना सतत प्रक्रिया है और केवल असम से ही इस संबंध में रिपोर्ट मिली है। उन्होंने बताया कि फर्जी लाभार्थियों की पहचान स्मार्टफोन के जरिये भी जा रही है। इसके लिए ‘एकीकृत बाल विकास सेवाएं- साझा अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (आईसीडीएस-सीएएस) ऐप विकसित किया गया है। अब तक 1.2 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में स्मार्ट फोन वितरित किए गए हैं।