दक्षिण अफ्रीका से कर्नाटक पहुंचे दो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इससे प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों के मुताबिक, अभी इस बात की पुष्टि बाकी है कि संक्रमण कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रॉन है या नहीं। फिलहाल दोनों को आइसोलेट कर क्वारंटाइन कर दिया गया है। और उनके नमूनों को स्वरूप के बारे में पता लगाने के उद्देश्य से आगे की जांच के लिये भेज दिया गया है। एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
दो नियमित कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए
उन्होंने कहा कि दोनों को पृथक-वास में भेज दिया गया है और चिंता की कोई बात नहीं है। बेंगलुरु ग्रामीण के उपायुक्त के. श्रीनिवास ने बताया, ”एक से 26 (नवंबर) तक दक्षिण अफ्रीका से कुल 94 लोग आए। उनमें से दो नियमित कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। लिहाजा, लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।”
उन्होंने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि दोनों संक्रमित व्यक्तियों को अलग कर दिया गया है, अधिकारियों द्वारा निगरानी की जा रही है और उनके नमूनों को स्वरूप के बारे में पता लगाने के उद्देश्य से आगे की जांच के लिये भेज दिया गया है।
हवाई अड्डों को दिशा-निर्देश दिए गए
यह देखते हुए कि दस देशों को उच्च खतरे के रूप में पहचाना गया है, उपायुक्त ने कहा कि वहां से आने वाले सभी लोगों को अनिवार्य रूप से जांच से गुजरना पड़ता है, और जो संक्रमित पाये जाते हैं उन्हें अलग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक से 26 नवंबर के बीच 10 अधिक खतरे वाले देशों से 584 लोग बेंगलुरू पहुंचे हैं।
पिछले एक सप्ताह में बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और इजराइल जैसे देशों में नए स्वरूप के मामलों का पता चला है। इसके मद्देनजर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने शनिवार को कहा कि हवाई अड्डों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि इन देशों से शहर की यात्रा करने वालों को नकारात्मक कोविड परीक्षण रिपोर्ट होने के बावजूद जांच से गुजरना होगा, और उन्हें नकारात्मक जांच के बाद ही हवाई अड्डे से बाहर जाने की अनुमति दी जाएगी।
नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही बाहर जा सकते हैं
उन्होंने कहा, ‘‘नकारात्मक जांच के बाद भी उन्हें घर पर रहना होगा और सात दिनों के बाद उन्हें एक बार फिर से जांच करानी होगी और नकारात्मक रिपोर्ट मिलने के बाद, कोई भी बाहर जा सकता है।’’कोविड के अधिक संक्रामक स्वरूप ‘बी.1.1.1.529’ के बारे में पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सूचित किया गया था, और बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग, इजराइल और ब्रिटेन में भी इसकी पहचान की गई है।