मुंबई की एक अदालत ने 10 इंडोनेशियाई और 10 किर्गिस्तान के यानि कुल 20 विदेशियों को बरी कर दिया है। इन लोगों पर यह आरोप था कि इन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि वे नई दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के एक धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे। कोरोना के मद्देनजर जारी की गई गाइडलाइन्स का पालन नहीं करने के लिए इन्हें 5 अप्रैल को डीएन नगर पुलिस ने 2 अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया था।
बता दें कि इन लोगों को हत्या साथ ही महामारी रोग अधिनियम, राष्ट्रीय आपदा अधिनियम, विदेशी अधिनियम और बॉम्बे पुलिस अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने आरोपियों को हत्या के प्रयास के आरोपों से मुक्त किया था और हत्या के लिए दोषी नहीं ठहराया था। इस महीने की शुरुआत में अदालत ने आरोपियों के खिलाफ अन्य आरोपों को हटा दिया और राष्ट्रीय आयुक्त और पुलिस आयुक्त द्वारा जारी आदेश की अवहेलना के लिए केवल बॉम्बे पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत मुकदमा चलाने के लिए कहा गया था।
मजिस्ट्रेट की अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों ने स्पष्ट किया है कि आरोपियों ने पुलिस आयुक्त के आदेश और लॉकडाउन के मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया है। उनके संस्करण रिकॉर्ड पर दस्तावेजी साक्ष्य के विपरीत हैं। अभियोजन पक्ष ने पंचनामा की तैयारी भी नहीं की है और कभी भी किसी अन्य स्वतंत्र गवाह का बयान दर्ज नहीं किया है। इस प्रकार, आरोप के समर्थन में अभियोजन द्वारा सुसज्जित कोई कानूनी सबूत नहीं है।