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असम में 246 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया; दो संगठन फरवरी में हथियार डालेंगे : हिमंत

असम में बृहस्पतिवार को यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूजीपीओ) और तिवा लिबरेशन आर्मी (टीएलए) के कुल 246 उग्रवादियों ने यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 169 उग्रवादी यूजीपीओ के और 77 उग्रवादी टीएलए के हैं।

असम में बृहस्पतिवार को यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूजीपीओ) और तिवा लिबरेशन आर्मी (टीएलए) के कुल 246 उग्रवादियों ने यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया।  इनमें 169 उग्रवादी यूजीपीओ के और 77 उग्रवादी टीएलए के हैं। आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों का मुख्यधारा में स्वागत करते हुए सरमा ने कहा कि बराक घाटी के दो और ब्रू-रियांग उग्रवादी संगठन फरवरी में हथियार डाल देंगे। 
उन्होंने उग्रवादियों के आत्मसमर्पण के लिए आयोजित औपचारिक कार्यक्रम में कहा कि उल्फा (आई) और कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (केएलओ) ही राज्य में उग्रवादी संगठन बचे रह जाएंगे।  सरमा ने कहा,बराक घाटी में दो ब्रू-रियांग समूह आने वाले दिनों में आत्मसमर्पण कर देंगे। हम उनका फरवरी तक आत्मसमर्पण कराने की कोशिश करेंगे।उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की प्रक्रिया से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने  कहा कि मुख्यमंत्री ने ब्रू रिवोल्यूशनरी आर्मी यूनियन (बीआरएयू) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक लिबरेशन फ्रंट (यूडीएलएफ) का जिक्र किया। यूजीपीओ और टीएलए के उग्रवादियों ने सरमा के सामने विभिन्न प्रकार के 277 हथियार, 720 कारतूस और हथगोले जमा किए।  यूजीपीओ की स्थापना 2007 में हुयी थी यह मुख्यतया कोकराझार, चिरांग, बक्सा और बिश्वनाथ जिलों में सक्रिय रहा है। वहीं टीएलए 2014 में स्थापित हुआ था और मोरीगांव, नागांव तथा पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में सक्रिय रहा है। 
सरमा ने उम्मीद जताई कि उल्फा (आई) और केएलओ भी जल्द ही बातचीत में शामिल होंगे और राज्य में स्थायी शांति लाएंगे। उन्होंने कहा, उल्फा (आई) ने गणतंत्र दिवस पर बंद का आह्वान नहीं किया। खबरों के अनुसार, केएलओ ने लोगों से राय मांगी कि क्या उन्हें शांति बातचीत में शामिल होना चाहिए। ऐसे में, हम मानते हैं कि इन दो समूहों की ओर से भी सकारात्मक प्रगति हो सकती है और असम को स्थायी शांति मिलेगी जिसकी उसे दशकों से लालसा है। मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि विभिन्न जातीय समुदायों द्वारा छोटे-छोटे उग्रवादी संगठन बनाने का चलन अब लगभग समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, हमने गोरखा समुदाय के सभी मुद्दों का हल किया। इसलिए अब सशस्त्र संघर्ष की कोई आवश्यकता नहीं है और इसीलिए यूजीपीओ ने आत्मसमर्पण कर दिया है।’’ 
सरमा ने रवा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (आरएनएलएफ), आदिवासी ड्रैगन फाइटर (एडीएफ), नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी (एनएसएलए), नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बंगाली (एनएलएफबी) तथा यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट (यूपीआरएफ) के आत्मसमर्पण करने वाले सदस्यों को 1.5-1.5 लाख रुपये का वित्तीय अनुदान भी प्रदान किया। इन उग्रवादी समूहों ने 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के सामने सामूहिक रूप से हथियार डाले थे। सरमा ने कहा कि सरकार का लक्ष्य आत्मसमर्पण करने वाले सभी उग्रवादियों का 10 मई तक पुनर्वास करना और उन्हें समाज का अभिन्न अंग बनाना है।

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