केंद्र सरकार ने बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) से कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण देने का सरकार का आदेश अदालत द्वारा पिछले साल जुलाई में ओबीसी आरक्षण के क्रियान्वयन के लिए दिए गए आदेश के अनुरूप है। इसने यह भी कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला भी संवैधानिक है।
अदालत सत्तारूढ़ द्रमुक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया है कि 2021-22 के लिए मेडिकल की पढ़ाई में अखिल भारतीय आरक्षण योजना (एआईक्यू) के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को क्रियान्वित न करने के लिए केंद्र सरकार को दंडित किया जाना चाहिए।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पी डी औदिकेसवालु की प्रथम पीठ से कहा कि ईडब्ल्यूएस के तहत आने वाले लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी संवैधानिक है और उच्च न्यायालय को इसपर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
नटराज ने कहा कि यदि ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का केंद्र सरकार का इस साल 29 जुलाई का आदेश द्रमुक को स्वीकार्य नहीं है तो वह इसे उच्च न्यायालय में केवल चुनौती दे सकती है, लेकिन यह दावा नहीं कर सकती कि केंद्र सरकार ने अवमानना की है।
उन्होंने अदालत से अवमानना का मामला बंद करने का आग्रह किया। द्रमुक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने मामले में अदालत के समक्ष संविधान के विभिन्न प्रावधानों का जिक्र किया। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया जो 25 अगस्त को सुनाया जाएगा।