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आदित्य ठाकरे की शिंदे कैंप को चुनौती, बोले- बागी विधायकों को फिर से लड़ना चाहिए चुनाव

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित पार्टी के बागी विधायकों को नए सिरे से जनादेश लेने की चुनौती दी और कहा कि वह भी इस्तीफा देने और नए सिरे से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित पार्टी के बागी विधायकों को नए सिरे से जनादेश लेने की चुनौती दी और कहा कि वह भी इस्तीफा देने और नए सिरे से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।उसी कार्यक्रम में पहले मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा था कि उद्धव ठाकरे को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्यों शिवसेना के 55 में से 40 विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया।
मैं भी अपनी सीट से इस्तीफा दूंगा और फिर से चुनाव लड़ूंगा : ठाकरे
आदित्य ठाकरे ने यहां इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा, “मैं अपनी मांग दोहराता हूं कि 40 बागी विधायकों को इस्तीफा दे देना चाहिए और नए सिरे से जनादेश लेना चाहिए। मैं भी अपनी सीट से इस्तीफा दूंगा और फिर से चुनाव लड़ूंगा। लोगों को तय करने दें।”उन्होंने कहा, “अगर मैं उपमुख्यमंत्री (देवेंद्र फडणवीस) होता, तो मैं इस सरकार से बाहर निकल जाता और नए सिरे से चुनाव का आह्वान करता।” उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी संविधान के आदर्शों, कानून के शासन और न्याय में विश्वास करती है।उन्होंने इस साल जून में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को गिराने वाले शिंदे और अन्य लोगों के विद्रोह का जिक्र करते हुए कहा, “यदि दो-तिहाई विधायक विद्रोह करते हैं और विद्रोह को वैध कर दिया जाता है, तो देश में अशांति होगी।”आदित्य ने बृहन्मुंबई नगर निगम के चुनाव सहित निकाय चुनावों में ‘देरी’ करने के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की।उन्होंने कहा, “पिछले 25 वर्षों में, हमने घाटे वाले एक नगर निकाय (बीएमसी) को 80,000 करोड़ रुपये के अधिशेष वाले निकाय में बदल दिया है और पाई-पाई का हिसाब है।”
शिंदे समूह के विद्रोह के लिए किसे दोषी ठहराया जाना चाहिए, यह पूछे जाने पर ठाकरे ने कहा, “मैं और मेरे पिता (उद्धव ठाकरे) उन लोगों पर अंध विश्वास के लिए दोष लेते हैं जिन्हें हम अपना समझते थे। हमने गंदी राजनीति नहीं की।”उन्होंने कहा कि शिंदे गुट ने चुनाव आयोग में याचिका दायर कर केवल शिवसेना को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिन्ह मांगा है। उन्होंने कहा कि अगर न्याय हुआ तो उनकी पार्टी को चुनाव चिन्ह वापस मिल जाएगा।उन दावों के बारे में पूछे जाने पर कि उद्धव ठाकरे ने भाजपा के साथ संभावित तालमेल पर चर्चा के लिए पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी, आदित्य ठाकरे ने कहा कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और मंत्री अशोक चव्हाण उनके पिता के साथ दिल्ली गए थे। ठाकरे ने कहा, “क्या एक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच सामान्य बैठकों को सिर्फ इसलिए राजनीतिक रंग देना जरूरी है क्योंकि एक गद्दार ऐसा कहता है।”
नए विचारों को स्वीकार करने के लिये रहना होगा तैयार
आलोचना से जुड़े एक सवाल के बारे में कि उनके जैसा कोई व्यक्ति जो जलवायु परिवर्तन, शहरी नियोजन और पर्यावरण के बारे में बोलता है, वह उस पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त नहीं है जो आक्रामकता और धमकी की राजनीति के लिए जानी जाती है, आदित्य ने कहा कि कोई कठोर नहीं हो सकता है, आपको बदलावों के मुताबिक ढलने और नए विचारों को स्वीकार करने के लिये तैयार रहना होगा।उन्होंने कहा, “मेरे दादा (बाल ठाकरे) ने भूमि पुत्रों और हिंदुत्व के मुद्दे को इसलिए उठाया क्योंकि ये मुद्दे उस दौर में थे, जबकि मेरे पिता ने मौजूदा समय के विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था।”
इससे पहले, मुख्यमंत्री शिंदे ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा कि उद्धव ठाकरे के पास उन्हें और उनके गुट के विधायकों को “देशद्रोही” कहने के अलावा कुछ भी नया नहीं है। ठाकरे गुट के बागी विधायकों को पाला बदलने के लिये रुपये दिए जाने के आरोपों पर शिंदे ने कहा, “कोई दो या तीन लोगों को रिश्वत दे सकता है, 50 लोगों को नहीं।”उन्होंने कहा, “क्या गलत हुआ, इस पर आत्मनिरीक्षण करने के बजाय, वह (उद्धव ठाकरे) हमारे खिलाफ आरोप लगा रहे हैं। मेरे लिए, विचारधारा महत्वपूर्ण है, मुख्यमंत्री पद नहीं। हमारे विधायक नाराज थे, लोग चाहते थे कि शिवसेना महाविकास आघाड़ी गठबंधन से बाहर हो जाए। हम शिवसेना-भाजपा गठबंधन के लिए खड़े थे, जिसके लिए लोगों ने मतदान किया था।”

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