देश के संगीत किंग के नाम से मशहूर रहे गुलशन कुमार की हत्या मामले में एक नया मोड़ आया है। गुलशन की 1997 में हत्या करने के जुर्म में दोषी पाए गए अब्दुल राशिद मर्चेंट ने बुधवार को एक सत्र अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। बता दें कि बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक अब्दुल ने यह निर्णय लिया।
उच्च न्यायालय ने मामले में मर्चेंट को बरी किए जाने के आदेश को एक जुलाई को निरस्त करते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और कहा था कि वह गुलशन कुमार की हत्या करने वालों में से एक था। बंबई उच्च न्यायालय ने उसे निर्देश दिया था कि वह थाने में या निचली अदालत में समर्पण करे और ऐसा न करने पर अदालत उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर सकती है।
मर्चेंट के वकील गणेश अय्यर ने कहा, ‘‘अब्दुल राशिद दाउद मर्चेंट ने आज बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार सत्र अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया।’’ चौबीस साल पहले हुई गुलशन कुमार की हत्या ने हिंदी फिल्म जगत को हिलाकर रख दिया था।
मर्चेंट के वकील गणेश अय्यर ने कहा, ‘‘अब्दुल राशिद दाउद मर्चेंट ने आज बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार सत्र अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया।’’ चौबीस साल पहले हुई गुलशन कुमार की हत्या ने हिंदी फिल्म जगत को हिलाकर रख दिया था।
उच्च न्यायालय ने मामले में फिल्म निर्माता एवं टिप्स इंडस्ट्रीज के सह-संस्थापक रमेश तौरानी को बरी किए जाने के आदेश को बहाल रखा था, जबकि राशिद के भाई अब्दुल रऊफ मर्चेंट की दोषसिद्धि बरकरार रखी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘दूसरे आरोपी अब्दुल राशिद मर्चेंट को बरी किए जाने के आदेश को निरस्त किया जाता है। राशिद को भादंसं की धारा 302, 120(बी) और भारतीय शस्त्र कानून की धारा 27 के तहत दोषी ठहराया जाता है।
दोषी को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है।’’ सत्र अदालत ने 29 अप्रैल 2002 को 19 आरोपियों में से 18 को बरी कर दिया था और रऊफ को भारतीय दंड संहिता और भारतीय शस्त्र कानून के तहत दोषी ठहराया था। गुलशन कुमार की मुंबई के अंधेरी इलाके में एक मंदिर के बाहर 12 अगस्त 1997 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।