महाराष्ट्र में सबूतों के अभाव के चलते नाबालिग से यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार युवक को कोर्ट से रिहाई मिल गई। अभियोजन पक्ष 32 वर्षीय आरोपी के खिलाफ सबूत पेश करने में नाकाम रहा था। महाराष्ट्र की अतिरिक्त सत्र के न्यायाधीश केडी शिरभाते ने तीन अगस्त को यह आदेश सुनाया था, जिसकी प्रति मंगलवार को जारी की गई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, ठाणे शहर के लोकमान्य नगर के निवासी ने नौ अप्रैल 2014 को उसके पड़ोस में रहने वाली 13 वर्षीय किशोरी के साथ अश्लील हरकत की थी। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 509 और पोक्सो अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि प्राथमिकी 11 अप्रैल 2014 को दर्ज की गई और पीड़िता का बयान सात मार्च 2016 को दर्ज किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि जांचकर्ताओं ने मामले की जांच सही तरीके से नहीं की और कोर्ट के समक्ष तथ्य उचित तरीके से पेश नहीं किए गए।
आदेश के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान की पुष्टि करने वाले साक्ष्यों के बिना, केवल उसके बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने आदेश में कहा कि मौजूदा तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करते हुए, कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहा है, आरोपी बरी किए जाने का हकदार है।