देहरादून : पहाड़ पर फिर पांव पसारने की कोशिश कर रहे माओवाद को चोट पहुंचाने के लिए पुलिस व खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। हाल ही में यूपी एटीएस की गिरफ्त में आए 50 हजार रुपये के इनामी खीम सिंह की गिरफ्तारी से कई अहम जानकारियां पुलिस को मिली हैं। खुफिया एजेंसियां अब पहाड़ पर माओवादी गतिविधियां संचालित करने वालों को चिह्नित कर रही हैं। डीआइजी ने 20 लोगों की एसओटीएफ गठित कर इसी विशेष काम के लिए लगाया है।
डेढ़ दशक पहले तराई के हंसपुर खत्ता में माओवादियों के ट्रेनिंग कैंप संचालित करने की सूचना पर पहली बार पुलिस व खुफिया एजेंसियों में हड़कंप मचा था। नानकमत्ता व रुद्रपुर थाने में कई मुकदमे भी दर्ज किए गए थे। जांच में ऊधमसिंह नगर के साथ ही अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत व नैनीताल जिले में भी माओवादी नेटवर्क की जानकारियां पुलिस को मिली। माओवादियों की ताबड़तोड़ गिरफ्तारी से उत्तराखंड में इनका नेटवर्क ध्वस्त होने लगा, मगर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव व 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर माओवादी गतिविधियों ने पुलिस व खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ाकर रख दी थी।
माओवादियों ने नैनीताल व अल्मोड़ा जिले में चुनावों का विरोध शुरू कर दिया। धारी तहसील में आगजनी की घटना तक हुई। वहीं सितंबर 2017 में माओवादी देवेंद्र चम्याल व एक महिला की चोरगलिया से गिरफ्तारी पुलिस की अहम कामयाबी रही। इनसे माओवादियों के नेटवर्क खड़ा करने के बारे में कई जानकारियां मिली थीं। वर्ष जून 2018 में ऊधमसिंह नगर पुलिस को 10 हजार रुपये के इनामी माओवादी मनीष मास्टर उर्फ रमेश भट्ट समेत दो माओवादियों को पकड़ने में सफलता मिली। पिछले महीने उत्तर प्रदेश की एटीएस के हत्थे चढ़े 50 हजार के इनामी माओवादी खीम सिंह बोरा को पुलिस अहम कामयाबी मान रही है।