राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने झारखंड के रामगढ़ जिला प्रशासन को अनुसूचित जातियों के खिलाफ कथित अत्याचारों को लेकर प्राथमिकियां दर्ज करने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
आयोग के सदस्य योगेन्द्र पासवान अनुसूचित जाति से संबंधित उस परिवार से मुलाकात करने के लिये सोमवार को यहां थे जिसके तीन सदस्यों की रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) के सिपाही ने 16 अगस्त को कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी। पासवान ने कहा, ‘पुलिस को आरोपियों के खिलाफ तुरंत शिकायत दर्ज कर आरोप पत्र दायर करना चाहिये।
पुलिस के कुछ अधिकारियों का SC/ST (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत प्राथमिकियां दर्ज करने से इनकार करना आयोग के लिये मुख्य चिंता का विषय है।’ पासवान ने रामगढ़ के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार और उपायुक्त संदीप सिंह की मौजूदगी में पत्रकारों से कहा आयोग की ओर से यह निर्देश विभिन्न राज्यों से मिली उन रिपोर्टों के मद्देनजर दिया गया है जिनमें अनुसूचित जातियों के खिलाफ कथित अत्याचार मामलों को लेकर कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा मामले दर्ज करने से इनकार की बात कही गई है।
आयोग के सदस्य ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन को रेलवे पोर्टर अशोक राम के परिवार को न्याय दिलाने के लिये कहा है। अशोक राम, उनकी पत्नी लीलावती देवी और गर्भवती बेटी मीना देवी की आरपीएफ सिपाही पवन कुमार सिंह ने 16 अगस्त को जिले के बरकाकाना में कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी।
राम की बेटी सुमन देवी और बेटा चिंटू राम घटना में घायल हो गए थे। राम के एक अन्य बेटे बिट्टू राम ने कहा था कि सिपाही ने बकाया 1,200 रुपये नहीं चुकाए थे जिसके चलते उसे दूध देने से इनकार कर दिया गया था। इस इनकार के चलते ही उसने उनके परिवार को सदस्यों पर गोली चलाई थी।
पासवान ने बताया कि पीड़ितों को रेलवे ने 9.47 लाख रुपये और रामगढ़ जिला प्रशासन ने एक लाख रुपये का मुआवजा दिया है। उपायुक्त सिंह ने कहा कि पीड़ित परिवार के जीवित बचे सदस्यों ने जिला प्रशासन से एक घर के लिये अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पीड़ित परिवार से कहा कि वे कोई क्षेत्र पहचान कर लें जहां वे रहना चाहते हैं और हम उन्हें भूमि आवंटित करेंगे तथा उन्हें मकान बनाकर देंगे।’’ पुलिस ने कहा है कि बिहार के भोजपुर जिले का रहने वाला 32 वर्षीय आरपीएफ सिपाही घटना के बाद से ही फरार है।