रायवाला, (पंजाब केसरी): आमजन के जानमाल की सुरक्षा के प्रति सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता का इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि प्रत्येक वर्ष वर्षाकाल के दौरान खतरे के जद में आने वाले गौहरीमाफी, ठाकुरपुर, साहबनगर, चकजोगीवाला व हरिपुरकलां गांव के लिए बाढ़ सुरक्षा के फौरी इंतजाम तक नहीं किए गए हैं। मानसून सिर पर है, ऐसे में बाढ़ के खतरे ने ग्रामीणों का माहौल बना हुआ है। सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उनकी सुरक्षा की चिंता कब होगी।
आपको बताते चलें कि बीते वर्षों में सौंग व जाखन नदी में आई बाढ़ से चकजोगीवाला व साहबनगर का काफी बड़ा हिस्सा खतरे की जद में है। हर साल बाढ़ में किसानों की खेती की भूमि मय फसल बह जाता है। यहां किसानों के खेत नदी में तब्दील हो चुके हैं। अब नदी गांव में आबादी से सट कर बहने लगी है। यहां बाढ़ सुरक्षा को सीसी ब्लॉक तटबंध जरूरी है। गोहरीमाफी में तो सौंग नदी का बाढ़ का पानी पुरे गाँव में घुस जाता है और नदी में तब्दील होकर गाँव के बीच से गुजर कर नदी के रूप में विकराल गो जाता है।गोहरीमाफी के प्रधान रोहित नौटियाल व जोगीवालामाफी के ग्राम प्रधान सोबन सिंह कैंतुरा ने बताया कि बाढ़ सुरक्षा कार्यों के लिए बजट स्वीकृत है और संयुक्त सर्वे भी हो चुका है। इसके बावजूद अब तक पार्क प्रशासन ने एनओसी नहीं दी है। वहीं हरिपुरकलां स्थित मोतीचूर की बरसाती नदी से हरिपुरकलां गांव को लगातार खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार तो तार जाल जैसे वैकल्पिक उपाय भी नहीं किए गए।
इन गांवों को है बाढ़ का खतरा : सौंग व जाखन नदी से सटे गाँव चकजोगीवाला, जोगीवालामाफी, साहबनगर, गौहरीमाफी, खदरी खडकमाफ, ठाकुरपुर व हरिपुरकलां की भगतसिंह कालोनी मोतीचूर व गंगा सूरजपुर कालोनी वर्षाकाल के दौरान सबसे ज्यादा बाढ़ से प्रभावित रहते हैं।
तटबंध पर बस गयी बस्ती
ग्राम हरिपुरकलां में तो स्थिति इतनी विकट है कि पुराने तटबंध पर पक्के मकान व झुग्गी झोपड़ी बनाकर अपना बसेरा बना लिया है। कई जगह तार जाल गायब कर दिए गए हैं। ऐसे में पूरे गांव को बाढ़ का खतरा बन् गया है। ग्राम प्रधान गीतांजलि जखमोला ने बताया कि कई जगह पुराने तार जाल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। प्रशासन व सिंचाई विभाग को स्थिति से अवगत कराया गया लेकिन गांव में बाढ़ सुरक्षा के नाम पर आज तक एक रुपये का काम नहीं हुआ है।
यह कहना है विभागीय अधिकारी का
विभागीय स्तर से राजाजी टाईगर रिजर्व पार्क के अधिकारीयों से एनओसी देने को कहा गया है, मंगलवार को पार्क की टीम ने स्थलीय निरीक्षण भी किया है। जल्द ही एनओसी मिलने कि उम्मीद है। अगर समय से एनओसी नहीं मिलती है तो नदी की धारा परिवर्तन का अस्थाई कार्य कराया जाएगा।