बंगाल में आगामी चुनावों को देखते हुए बीजेपी और राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी आक्रामक रुख अपनाए हुए है। टीएमसी को राज्य की सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बंगाल में बीजेपी का चुनावी समीकरण तैयार करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह लगातार बंगाल का दौरा कर रहे हैं।
बीजेपी के इन प्रयासों को विफल करने के लिए टीएमसी ने विपक्षी दलों से ममता के समर्थन की अपील की है, जिसपर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस ने इस सलाह के बाद तृणमूल कांग्रेस को गठबंधन बनाने के स्थान पर पार्टी (कांग्रेस) में विलय कर लेने की पेशकश की है। वहीं वाम मोर्चा ने भी पीठ दिखा दी है।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में बीजेपी के खिलाफ हैं तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ही ‘‘बीजेपी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा’’ हैं।’’
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तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में बीजेपी के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है। अगर ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ लड़ने को इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।’’
बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी। माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने आश्चर्य जताया कि तृणमूल कांग्रेस वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देने के बाद उनके साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि वह (वाम मोर्चा) अभी भी महत्वपूर्ण हैं। वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हराएंगे।’’ घटनाक्रम पर पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस की ‘हताशा’ को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘‘वे (तृणमून कांग्रेस) हमसे अकेले नहीं लड़ सकते हैं, इसलिए वे अन्य दलों से मदद मांग रहे हैं। इससे साबित होता है कि भाजपा ही तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विकल्प है।’’