पटना : आगामी लोकसभा चुनाव में बेगसूराय की जनता किसके हाथों सौंपेगा लोकसभा का प्रतिनिधित्व। भूमिहार निष्ठा की होगी अग्निपरीक्षा। चुनाव ही साबित करेगा कि क्षेत्र के भूमिहार एनडीए या यूपीए के साथ है। 2014 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भूमिहार जाति से आने वाले भोला सिंह भाजपा के टिकट से चुनाव जीतकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 50 साल से राजनीतिक जीवन का सफर कर रहे भोला ङ्क्षसह की 20 अक्टूबर को मृत्यु हो जाने से यह सीट रिक्त पड़ा गया।
आगामी लोकसभा के चुनाव में कम समय होने केकारण यहां उपचुनाव नहीं होगी, लेकिन अभी से ही म हागठबंधन-कांग्रेस, राजद वाम दल एवं गठबंधन भाजपा, जदयू एवं लोजपा के घटक दल इस सीट पर प्रत्याशी उतारने का दावा कर रहे हैं। पिछले चुनाव में अकेले चुनाव लड़ रहे जदयू ने सीपीआई को समर्थन किया था। इस चुनाव में इसके बावजूद भी राजद प्रत्याशी तनवीर हसन दूसरे नम्बर पर थे। भाजपा जीती सीट को छोडऩा नहीं चाहेगी वह नये चेहरे को उतारने का काम करेगा। इस बार जदयू का गठबंधन में साथ में रहने पर वह भी दावा ठोक सकता है। छह विधानसभा वाला बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में चरिया बरियारपुर विधानसभा से जदयू के कुशवाहा समाज से आने वाले मंजू वर्मा एवं मटिहानी से जदयू के भूमिहार जाति से आने वाले नरेन्द्र सिंह क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
वहीं बछवाड़ा से यादव जाति से कांग्रेस के रामदेव राय एवं बेगूसराय से भूमिहार जाति से कांग्रेस के अमिता भूषण। साहेबपुर कमाल से यादव जाति से राजद के श्री नारायण यादव, तेघड़ा से धानुक जाति से राजद के वीरेन्द्र कुमार एवं बखरी से पासवान जाति से आने वाले राजद के उपेन्द्र पासवान क्षेत्र का प्रतिििनधित्व कर रहे हैं। बेगूसराय के स मीकरणों में भूमिहार जाति भारी पड़ते रहा है। जातीय बसावट में भी यह भूमिहार प्रभुत्व वाला क्षेत्र माना जाता है। पांच लाख से ज्यादा भूमिहार वोटर है। यादव व मुसलमान मतदाताओं की संख्या दो-दो लाख मानी जाती है। इस क्षेत्र से दो बार गैर भूमिहार चुनाव जीतने में सफल हुए हैं। 1999 में राजद के राजवंशी महतो एवं 2009 में जदयू के मोनाजिर हसन चुनाव जीत चुके हैं। भोला सिंह की मृत्य के बाद इस क्षेत्र का उत्तराधिकारी कौन होगा यह सीट भाजपा या जदयू कोटा का होगा यह अभी तय नहीं हुआ है। लेकिन माना जा रहा है कि इस बार भी यह सीट भूमिहारों के हाथों ही होगी।
वहीं महागठबंधन की ओर से यह सी ट सीपीआई के झोले में जाती है तो जातीय समीकरण को देखते हुए पार्टी ने भूमिहार जाति से आने वाले जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को प्रत्याशी के रूप में उतारेगी। कन्हैया का जनता में कितनी पहचान और आधार है यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। सीपीआई ने जातीय समीकरण के आधार पर पार्टी से एक बार भूमिहार जाति से आने वाले राजेन्द्र प्रसाद सिंह को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे चुनाव जीतने से दूर रह गये। इस स ीट पर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस और राजद भी दावेदारी जता रही है। विपक्ष के सभी दल एकजुट होकर एनडीए को मात देने के लिए चुनाव मैदान में उतरने को लेकर कवायद तो शुरू किये हुए हैं लेकिन कितनी बातें बनती है यह तो चुनाव के समय ही पता चलेगा।