मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर एवं इसकी इंदौर एवं ग्वालियर खंडपीठों में करीब 11 महीने के बाद सोमवार से मामलों की सुनवाई पारंपरिक तरीके से अदालत कक्ष में आमने-सामने उपस्थित होकर शुरू होगी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने वकीलों एवं पक्षकारों को ऑनलाइन सुनवाई में पेश होने का विकल्प भी दिया है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की महामारी शुरू होने के बाद गत वर्ष मार्च महीने के आखिर से जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय एवं इसकी इंदौर और ग्वालियर खंडपीठों में पारंपरिक तरीके से अदालत कक्ष में आमने-सामने उपस्थित होकर सुनवाई बंद थी और इसकी जगह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये मामलों की ऑनलाइन सुनवाई चल रही है।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की विज्ञप्ति के अनुसार उच्च न्यायालय प्रशासन ने अदालत की सुनवाई करने के लिए अब अदालत कक्ष में आमने-सामने उपस्थित होकर और डिजिटल माध्यम से पेश होने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तय की हैं। इन दोनों तरीकों से अदालत में सुनवाई के लिए पेश होने का मुख्य उद्देश्य वकीलों एवं पक्षकारों को सहूलियत देना है।
इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय जबलपुर और दोनों खंडपीठों पर आठ फरवरी से पारंपरिक तरीके से मुकदमा दाखिल करने का काम शुरू हो गया है और 15 फरवरी से पारंपरिक तरीके से अदालत कक्ष में आमने-सामने उपस्थित होकर सुनवाई होगी। हालांकि, अधिवक्ता सुनवाई के डिजिटल माध्यम का विकल्प चुन सकते हैं जिसके लिए उन्हें उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को पहले से सूचित करना होगा।
मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित अधिवक्ताओं द्वारा गाउन पहनना वैकल्पिक होगा, लेकिन, उनके लिए काला कोट और बैंड पहनना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, किसी भी पक्षकार या व्यक्ति को उच्च न्यायालय परिसर में तब तक प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि किसी मामले की सुनवाई के दौरान उपस्थिति के लिए उसे अदालत से कोई विशिष्ट निर्देश न हो।
अगर कोई निर्देश है तो मानक संचालन प्रक्रिया के मुताबिक ऐसे व्यक्ति या पक्षकार को प्रवेश द्वार पर आदेश की कॉपी और पहचान पत्र दिखाना होगा। मध्यप्रदेश में शनिवार को कोविड-19 के कारण किसी की मौत नहीं हुई और राज्य में शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 194 नए मामले आये। मध्यप्रदेश में अब तक कुल 2,57,423 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये हैं, जिनमें से 3,829 लोगों की मौत हो चुकी है, 2,51,765 मरीज स्वस्थ होकर घर चले गये हैं और 1,829 मरीज़ों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।