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जोशीमठ-कर्णप्रयाग के बाद अब टिहरी में भी दरकने लगे मकान

उत्तराखंड में एक-एक करते कई जिलों में मकान दरकते जा रहे हैं। जोशीमठ में कुछ ही दिनों में 723 मकानों में दरारें पड़ गईं। ये दरारें लगातार बढ़ती जा रही है

उत्तराखंड में एक-एक करते कई जिलों में मकान दरकते जा रहे हैं। जोशीमठ में कुछ ही दिनों में 723 मकानों में दरारें पड़ गईं। ये दरारें लगातार बढ़ती जा रही है। इसके बाद कर्णप्रयाग में 27 भवनों में दरारें देखी गई है। प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है। आईआईटी रुड़की की टीम मौके पर है, लेकिन अब उत्तराखंड शासन की धड़कनें तेज हो गई हैं, क्योंकि टिहरी जिले में भी मकानों में दरारें देखी जा रही हैं।
टिहरी के चंबा इलाके के लोग परेशान
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उत्तराखंड के टिहरी जिले के चंबा इलाके में मकानों और इमारतों में दरारें देखी गई है। यह मामला उस वक्त सामने आया है जब उत्तराखंड में जोशीमठ में 723 भवनों और कर्णप्रयाग में 27 भवनों में दरारें आ चुकी है। सूचना के बाद कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में जिला प्रशासन ने निरीक्षण किया है। 
कर्णप्रयाग पहुंची आईआईटी रुड़की की टीम
एएनआई के अनुसार कर्णप्रयाग के तहसीलदार सुरेंद्र देव ने बताया कि पहले भी यहां निरीक्षण किया था। अब 27 भवनों की पहचान की थी और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अन्य प्रमुख योजनाओं की सिफारिश की थी। आईआईटी रुड़की की टीम ने यहां दो बार सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट का इंतजार है। असुरक्षित भवनों की पहचान की जा रही है। उन्हें खाली कराया जाएगा। आज की निरीक्षण रिपोर्ट डीएम को भेजी जा रही है। 
टनल के लिए ब्लास्टिंग में हिल जाते हैं मकान
एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि टिहरी जिले के नरेंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र के अटाली गांव से होकर गुजरने वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन ने स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अटाली के एक छोर पर भारी भूस्खलन के कारण दर्जनों मकानों में दरारें आ गई हैं। जबकि गांव के दूसरे छोर पर सुरंग में चल रहे ब्लास्टिंग हो रही है।
लोगों का आरोप- सिर्फ बैठक करते हैं अधिकारी
अटाली में रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि टनल में जब ब्लास्टिंग होती है तो उनका घर हिलने लगते हैं। प्रभावित परिवारों में से कुछ अपने बच्चों के साथ रात के अंधेरे में बाहर निकल जाते हैं। सर्दी की रात यहीं काटने को मजबूर हैं। अपर जिलाधिकारी टिहरी और एसडीएम नरेंद्रनगर ने भी सभी प्रभावित परिवारों के साथ बैठक की है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन हर छह माह में बैठक करता है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है

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