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अहमदाबाद विस्फोट : 49 दोषियों की सजा पर 11 फरवरी से सुनवाई करेगी अदालत

अहमदाबाद स्पेशल कोर्ट 2008 को अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों संबंधी मामले के दोषियों की सजा की मात्रा पर फैसला करने के लिए 11 फरवरी को दलीलें सुनना शुरू करेगी।

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में स्पेशल कोर्ट ने 49 लोगों को दोषी करार दिया है। अहमदाबाद स्पेशल कोर्ट इन दोषियों की सजा पर 11 फरवरी को दलीलें सुनना शुरू करेगी। बचाव पक्ष के एक वकील ने मामले में आगे की सुनवाई से पहले दस्तावेज एकत्र करने के लिए कोर्ट से कुछ समय देने का अनुरोध किया, जिसके बाद बुधवार को सुनवाई स्थगित कर दी गई।
बता दें कि साल 2008 को अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में कुल 56 लोगों की मौत हुई थी और 200 से अधिक अन्य लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने इस मामले में यहां मंगलवार को 49 लोगों को दोषी करार देते हुए अन्य 28 लोगों को बरी कर दिया है।
न्यायाधीश ए आर पटेल ने गुजरात के सबसे बड़े शहर में हुए कम से कम 20 सिलसिलेवार धमाकों में आरोपी 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। यह फैसला घातक विस्फोटों के 13 साल बाद सुनाया गया है। विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल ने बताया कि बचाव पक्ष के वकील ने बुधवार को कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की और सजा की मात्रा पर सुनवाई से पहले दोषियों से संबंधित दस्तावेज एकत्र करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा।

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में स्पेशल कोर्ट का बड़ा फैसला, 49 दोषी करार, 28 को किया गया बरी

बचाव पक्ष स्वास्थ्य संबंधी एवं चिकित्सकीय दस्तावेज और शैक्षणिक योग्यता जैसे विभिन्न दस्तावेजों का इस्तेमाल करेगा, ताकि वह दोषियों को कम से कम सजा दिलाने के लिए अपना पक्ष मजबूती से रख सके। पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोर्ट ने उन्हें कल तक का समय दिया और मामले की सुनवाई शुक्रवार को करने का फैसला किया। इस दौरान कोर्ट दोषियों और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनेगा और इसके बाद सजा की मात्रा पर फैसला करेगा।’’
दोषियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की अधिकतम सजा मिल सकती है और अभियोजन पक्ष दोषियों को अधिकतम सजा दिलाने की कोशिश करेगा। एक अन्य विशेष लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट ने कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष के वकील को बुधवार शाम तक उन कारागारों से आवश्यक दस्तावेज एकत्र करने का निर्देश दिया है, जहां इन कैदियेां को रखा गया है।
उन्होंने बताया कि कोर्ट ने जेल प्राधिकारियों को उनकी मदद करने का भी निर्देश दिया है। ब्रह्मभट्ट ने कहा, ‘‘बचाव पक्ष के वकील ने यह तर्क देते हुए समय मांगा कि वह कोविड-19 के कारण अपने मुवक्किलों से संपर्क नहीं कर पा रहा। अदालत ने कहा कि वकीलों ने मामले में अपनी-अपनी दलीलें पेश कर दी हैं और उनके पास प्रासंगिक दस्तावेजों की जानकारी है, लेकिन उसने उन्हें न्याय के हित में एक दिन का समय दे दिया।’’

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उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में 20 धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि 246 अन्य घायल हुए थे। पुलिस ने दावा किया था कि हिजबुल मुजाहिदीन और, प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथी धड़े से जुड़े लोग इन धमाकों में शामिल हैं। पुलिस ने आरोप लगाया था कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इन धमाकों की योजना बनाई। 
इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की मौत हुई थी। अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद पुलिस को सूरत के विभिन्न इलाकों में बम मिले थे जिसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकियों को एक साथ मिलाने के बाद मामले की सुनवाई हुई।

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