मध्य प्रदेश में प्रस्तावित नगरीय निकाय चुनाव के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अपने चुनावी सफर का आगाज करने को तैयार है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की हरी झंडी मिलने के बाद पार्टी इसका विस्तृत खाका घोषित कर सकती है।
एआईएमआईएम की राज्य इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नईम अंसारी ने शुक्रवार को न्यूज़ एजेंसी को बताया,‘‘हमने सूबे के 22 जिलों में नगरीय निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रखी है। इनमें से 10 जिलों में चुनावी समीकरणों को लेकर पार्टी का विस्तृत सर्वेक्षण भी हो चुका है।’’
उन्होंने बताया कि राज्य के एआईएमआईएम नेताओं की ओवैसी से नौ जून को हैदराबाद में मुलाकात प्रस्तावित है और उनकी मंजूरी मिलते ही पार्टी द्वारा नगरीय निकाय चुनाव लड़ने का विस्तृत कार्यक्रम सार्वजनिक कर दिया जाएगा। अंसारी ने बताया कि एआईएमआईएम नगरीय निकाय चुनावों में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, रतलाम, शाजापुर और अन्य जिलों में अपने उम्मीदवार घोषित करने पर विचार कर रही है।
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उन्होंने संकेत दिए कि बुरहानपुर सूबे के उन शहरों में शुमार है जहां एआईएमआईएम पार्षदों के साथ ही महापौर पद पर भी अपना उम्मीदवार उतार सकती है। अंसारी ने दावा किया कि सूबे के लोग बीजेपी और कांग्रेस, दोनों दलों से नाराज हैं और तीसरे विकल्प की ओर हसरत भरी निगाहों से देख रहे हैं।
उन्होंने कहा,”हम सूबे में एआईएमआईएम को तीसरे विकल्प के रूप में पेश करने को तैयार हैं।” अंसारी ने बताया कि मध्यप्रदेश में पहली बार चुनाव लड़ने को कमर कस रही एआईएमआईएम ने राज्य में वर्ष 2015 से अपना काम-काज शुरू किया था और अब तक सूबे में दो लाख से ज्यादा लोग ओवैसी की अगुवाई वाली पार्टी की औपचारिक सदस्यता ले चुके हैं।
AIMIM के लिए आसान नहीं होगी राह
बहरहाल, मध्यप्रदेश की दो ध्रुवीय सियासत में सत्ता की बागडोर पारम्परिक तौर पर बीजेपी या कांग्रेस के हाथों में ही रही है और राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इसमें एआईएमआईएम का जगह बनाना इतना आसान नहीं है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर एआईएमआईएम राज्य के नगरीय निकाय चुनावों में उतरती है तो मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।
इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर कांग्रेस की राज्य इकाई के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने एआईएमआईएम को सत्तारूढ़ बीजेपी की “बी-टीम’’ करार दिया और कहा,‘‘मध्यप्रदेश के मुस्लिम मतदाता बेहद समझदार हैं और वे एआईएमआईएम के हाथों की कठपुतली कतई नहीं बनेंगे।’’ वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, तब मध्यप्रदेश की कुल 7.27 करोड़ की आबादी में 6.57 प्रतिशत यानी 47.76 लाख मुसलमान थे।