रायजोर दल और असम जातीय परिषद के बीच गठबंधन हुआ समाप्त, दोनों पार्टी का बस इतना ही था साथ। दरअसल, रायजोर दल (आरडी) के अध्यक्ष अखिल गोगोई ने रविवार को यानी आज कहा कि उनकी पार्टी ने क्षेत्रीय मंच असम जातीय परिषद (एजेपी) के साथ गठबंधन खत्म कर लिया है। असम जातीय परिषद का नेतृत्व ऑल स्टूडेंट असम यूनियन (आसू) के पूर्व महासचिव लुरिंगज्योति गोगोई कर रहे हैं। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध के नाम पर 2 नवगठित क्षेत्रीय दलों ने इस साल फरवरी में हाथ मिलाया था और मार्च-अप्रैल में राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
एजेपी को एक सीट भी नहीं मिली जबकि आरडी एक सीट जीतने में कामयाब रही। इस इकलौती सीट पर गोगोई एक निर्दलीय विधायक के रूप में जीते थे। गोगोई ने कहा, ‘‘हम चुनाव के दौरान गठबंधन में नहीं थे। हमने चुनाव के बीच में ही गठजोड़ तोड़ दिया। कोई एकजुट विपक्षी मंच नहीं था, इसलिए हम अलग हो गए।’’ दोनों पार्टियों में से किसी ने भी चुनाव के दौरान गठबंधन के टूटने की घोषणा नहीं की, हालांकि अटकलें लगाई जा रही थीं कि सीट चयन प्रक्रिया पर मतभेद के कारण उनका गठजोड़ खत्म हो गया है।
कुल 126 निर्वाचन क्षेत्रों में से एजेपी ने 83 सीटों पर और आरडी ने 38 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। राज्य के 16 निर्वाचन क्षेत्रों में दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा और एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिससे सीएए का विरोध करने वालों के मतों का विभाजन हुआ। गोगोई असम में सीएए विरोधी आंदोलन में कथित भूमिका के लिए दिसंबर 2019 में गिरफ्तारी के बाद से 567 दिनों के कारावास के उपरांत एक जुलाई को रिहा कर दिए गए, क्योंकि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) गोगोई और तीन सहयोगियों के खिलाफ कोई आरोप तय करने में विफल रहा।
यह पूछे जाने पर कि पार्टी ने चुनाव से पहले औपचारिक रूप से गठबंधन की समाप्ति की घोषणा क्यों नहीं की, तो पहली बार विधायक बने गोगोई ने कहा, ‘‘हमने अकेले विधानसभा चुनाव लड़ा। अभी तक, हम एजेपी के साथ किसी भी गठबंधन में नहीं हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या आरडी से परामर्श किए बिना बहुत से उम्मीदवारों को नामित करने के एजेपी के फैसले से क्षेत्रीय गठबंधन खत्म हो गया, अखिल गोगोई ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता। मैं उन पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। हम चाहते थे कि चुनाव में केवल दो ध्रुव हो- एक भाजपा और दूसरा भाजपा विरोधी।’’ गोगोई ने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चा तोड़कर हमारे साथ धोखा किया। उसी समय हमने एजेपी से गठबंधन भी तोड़ा था।’’
वर्ष 2001 से असम में 15 वर्षों तक सत्ता में रही कांग्रेस ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीडीएफ), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), आदिवासी नेशनल पार्टी (एएनपी) और जिमोचयान (देवरी) पीपुल्स पार्टी (जेपीपी)के साथ एक ‘महागठबंधन’ बनाया था।