इशरत जहां एनकाउंटर मामले में अहमदाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारी गिरिश सिंघल, तरुण बारोट और अंजु चौधरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। इन तीनों पर इशरत जहां, जावेद उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो अन्य लोगों का जून 2014 में फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप है।
बेटे दिनों तीनों अधिकारियों ने आरोपों से मुक्त करने की अर्जी लगाई थी। इससे पहले तत्कालीन महानिदेशक पीपी पांडे, तत्कालीन डीआईजी डी जी वंजारा व तत्कालीन पुलिस उपायुक्त एन के अमीन को भी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी जी एल सिंघल, तरुण बारोट व अनाजों चौधरी ने आईबी से मिले इनपुट के आधार पर कार्यवाही की जैसा उन्हें करना चाहिए था।
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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं कोर्ट में पेश नहीं किए गए कि इशरत जहां आतंकी नहीं थी। पुलिस अधिकारियों ने जिस घटना को अंजाम दिया वह परिस्थिति जन्य थी तथा उनके द्वारा यह जानबूझकर किया गया हो ऐसा नहीं लगता है।
उल्लेखनीय है कि 15 जून 2014 को मुंबई के नजदीक मुम्ब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी। पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की योजना बना रहे थे। हालांकि, हाई कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची की मुठभेड़ फर्जी थी, जिसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।