बड़वानी : विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। राजनीतिक दलों को प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों से ज्यादा चिंता नोटा को लेकर है। दरअसल विधानसभा चुनाव-2013 में बड़वानी जिले की तीन विधानसभाओं में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिले थे। इसके साथ ही सपाक्स, जयस जैसे फै क्टर दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की टॉप-10 विधानसभा सीटें जहां सर्वाधिक वोट नोटा को मिले हैं, उनमें से तीन बड़वानी जिले की हैं। वहीं जिले की पानसेमल विधानसभा सीट प्रदेश में सर्वाधिक नोटा वोट पाने वाली सीट है।
ज्ञात हो कि गत विधानसभा चुनाव में प्रदेश में हुए कु ल मतदान में लगभग 6.4 लाख मत नोटा को गए थे, जो कुल मतदान का 1.9 प्रतिशत है। वोट पाने के गणित में नोटा प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस व बसपा के बाद चौथे नंबर पर रहा था। वहीं 21 विधानसभा सीटों पर नोटा को मिले वोटों की संख्या जीत के आंकड़े से अधिक थी।
इन पांच सालों में जहां जागरूकता बढ़ी है, वहीं राजनीतिक दलों को लेकर असंतोष भी सामने आया है। गत विधानसभा चुनाव की टॉप-10 नोटा वोट पाने वाली विधानसभा सीटों में जिले की पानसेमल, बड़वानी और सेंधवा सीटें शामिल हैं। प्रभाव डालने में सक्षम हैं फैक्टर सरकार की नीतियों-रीतियों से असंतुष्ट कई संगठन नोटा में वोट करने का प्रचार सोशल मीडिया पर करते रहे हैं। वहीं पिछले कु छ समय से सपाक्स, आरक्षण विरोधी दल और जयस भी राजनीतिक दलों के खिलाफ मैदान में हैं। इस लिहाज से आने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाता के मन की बात को समझने में प्रमुख दलों को खासी मशक्कत करना पड़ेगी।