मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों और कोविड महामारी के खतरे से जूझते हुए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंगलवार को सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के प्रसिद्ध मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके साथ ही दो महीने के वार्षिक मंडलम-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा की शुरुआत हुई।
आज तड़के मंदर के कपाट खुलने के बाद गर्भगृह में मुख्य पुजारी एन परमेश्वरन नम्बूदिरी ने पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलित किया और श्रद्धालुओं को पहाड़ी पर चढ़ने की अनुमति दी गई। पिछले साल की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं को ‘वर्चुअल’ कतार के जरिये जाने की अनुमति दी गई ताकि महामारी और भारी बारिश के मद्देनजर तीर्थयात्रियों की रेले को नियंत्रित किया जा सके।
मलयाली कैलेंडर के महीने ‘वृच्चिकम’ के पहले दिन मंदिर में भारी भीड़ होती है लेकिन आज सुबह श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम देखी गई। अधिकारियों ने भारी बारिश के चलते, अगले तीन से चार दिन के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित करने का निर्णय लिया है। मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष पाम्पा नदी में स्नान करने की परंपरा की भी अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि पानी का स्तर ऊंचा है।
प्रधान पुजारी (तंत्री) के. महेश मोहनरारु की उपस्थिति में सोमवार को निवर्तमान पुजारी वी के जयराज पाटिल ने मंदिर का गर्भगृह खोला। सरकार के सूत्रों के अनुसार, कोविड के मद्देनजर सरकार ने इस बार ‘वर्चुअल’ कतार व्यवस्था के जरिये प्रतिदिन केवल 30 हजार श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति दी है।