अमरावती (आंध्रप्रदेश) : मुख्यमंत्री वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी के इन आरोपों से सनसनी फैल गई है कि उच्चतम न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय की बैठकों को तेलुगुदेशम पार्टी के पक्ष में प्रभावित कर रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली पार्टी ने इसे ‘ज्यादती’ बताया है और ‘न्यायपालिका के खिलाफ षड्यंत्र’ करार दिया है।
मुख्यमंत्री ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस. ए. बोबडे को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय का इस्तेमाल ‘‘मेरी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर एवं अपदस्थ करने में किया जा रहा है।’’
रेड्डी ने सीजेआई से मामले पर गौर करने का आग्रह किया और ‘‘राज्य न्यायपालिका की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने’’ पर विचार करने के लिए कहा।
आरोपों पर उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश की चंद्रबाबू नायडू से नजदीकी है और ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश इस तथ्य को सामने लाए हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि जब उनकी सरकार ने नायडू के शासनकाल 2014- 19 के बीच के कार्यों की जांच शुरू करवाई तो ‘‘यह स्पष्ट हो गया कि न्यायाधीश ने राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित करना शुरू कर दिया…।’’
उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों का नाम लेते हुए रेड्डी ने आरोप लगाए कि उनका ‘‘उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश और तेलुगुदेशम पार्टी के साथ गठबंधन था और उन्होंने मेरी सरकार और मेरे प्रति शत्रुता दर्शाई।’’
मुख्यमंत्री ने छह अक्टूबर को सीजेआई को पत्र लिखा था और उनके प्रधान सलाहकार अजेय कल्लम ने शनिवार रात को इस पत्र को मीडिया में जारी किया।
उन्होंने कहा कि इसे आठ अक्टूबर को सीजेआई के पास भेजा गया था।
तेलुगुदेशम पार्टी ने आरोपों को ‘‘न्यायपालिका के खिलाफ जानबूझकर किया गया षड्यंत्र’’ बताकर इसे खारिज कर दिया और कहा कि इससे अधिक ज्यादती नहीं हो सकती है।
तेदेपा पोलितब्यूरो के सदस्य यनमाला रामाकृष्णुडु ने बयान जारी कर कहा कि जब आपकी सरकार के गैर कानूनी और असंवैधानिक कृत्यों से परेशान कोई व्यक्ति या संगठन अदालत से न्याय पाना चाहता है और अगर अदालत से राहत मिल जाती है तो आप उन पर आरोप कैसे लगा सकते हैं।
उन्होंने दावा किया कि पत्र से रेड्डी की नायडू के खिलाफ ‘ईर्ष्या’ भी झलकती है।
पत्र के बारे में पूछने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि राज्य का हर अंग देश के‘‘गौरवशाली लोकतंत्र’’ का महत्वपूर्ण स्तंभ है, चाहे वह विधायिका हो, कार्यपालिका हो या न्यायपालिका।
उन्होंने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह उपयुक्त नहीं है कि हममें से कोई भी इस चरण में गैर जिम्मेदाराना बयान दे।’’