आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी सरकार के, तीन अलग-अलग राजधानियों संबंधी कदम पर चल रहे विवाद के बीच उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को विस्थापन की समस्या खत्म करने के लिए विकेंद्रीकृत विकास की जरूरत पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘विकास समान रूप से होना चाहिए तथा अधिक से अधिक ध्यान प्रवास पर रोक लगाने के लिए ग्रामीण इलाकों पर होना चाहिए।’’ नायडू पश्चिम गोदावरी जिले के ताडेपल्लिगुड़म में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राजधानी को लेकर राजनीति और विवाद की बात नहीं कर रहा हूं। यह एक प्रशासनिक मामला है। यह आपको तय करना है।’’ उन्होंने कहा कि शहरीकरण सच्चाई बन गया है इसलिए ‘‘विकेंद्रीकरण, वितरण और पुनर्विकास’’ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत की शहरी आबादी 2020 तक बढ़कर 57 करोड़ होने की उम्मीद है और 2050 तक यह 70 करोड़ का आंकड़ा पार कर लेगी।
उपराष्ट्रपति ने नयी दिल्ली, कोलकाता और मुंबई का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘हमारे शहर विकास का इंजन हैं और हमें बुनियादी ढांचा खड़ा करने की जरूरत है। दुर्भाग्य से हमारे शहरों में क्षमता से अधिक आबादी हो गई है।’’ उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों के शहरों में जाने और वहां स्थान की कम उपलब्धता के कारण यह समस्या पैदा हुई है।
नायडू ने कहा, ‘‘इसलिए एक बार जब आप विकेंद्रीकरण कर देंगे तो शहरी इलाकों में लोगों का प्रवास कम होगा। हमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा तथा अन्य सुविधाओं के साथ ही ग्रामीण इलाकों में आर्थिक अवसर मुहैया कराकर विस्थापन को रोकना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि शहरी विकास तभी संभव हो सकता है जब ग्रामीण विकास हो। इस मौके पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन भी मौजूद थे।